"सदियों राह देखेगा जहां, हम इसे छोड़ जायेंगे तन्हां"
जन्म तिथि (1 अगस्त) पर विशेष
![]() |
'साहब बीबी और गुलाम' में मीना कुमारी |
कमाल अमरोही हमारे देश के बहुत ही उम्दा फिल्म
लेखक और निर्देशक हुए हैं। उन्होंने अपनी सशक्त लेखनी से ‘पुकार’, ‘शाहजहां’, ‘मुगले आजम’ और ‘भरोसा’ जैसी महान् फिल्मों
की कहानियां लिखी थीं। सन् 1953 में उनकी खुद की संस्था कमाल पिक्चर्स के अंतर्गत उन्होंने ‘पाकीजा’ नाम की फिल्म का
निर्माण शुरू कर दिया। फिल्म बनते बनते सत्रह साल लग गये। इसी बीच कमाल अमरोही ने ‘पाकीजा’ की अभिनेत्री मीना
कुमारी से दूसरी शादी कर ली। मुझे याद है सन् साठ के दशक में लक्स साबुन के कवर
मीना कुमारी की तस्वीरें प्राय: अखबारों में छपती थीं और इस फोटो के नीचे लिखा
होता था-‘पाकीजा की हीरोइन’।
‘महजबी’ कैसे बनी मीना?
‘पाकीजा’ जैसी महान क्लासिकल फिल्म से पहले मीना कुमारी ने फिल्मी दुनिया में
अपनी जड़ें जमाने के लिए संघर्ष किया था। उनके पिता मास्टर अली बख्श पीने के शौकीन किस्म के इंसान थे। फिल्म दुनिया
में अपना सबकुछ लुटा चुके थे। खर्चे के लिए घर में मारपीट, तंगहाली ने डेरा डाल
दिया था। ऐसे में अली बख्श ने महजबी (मीना कुमारी के बचपन का नाम) को स्कूल ना भेज
कर मात्र चार साल की उम्र में बाल कलाकार बनवा दिया। सर्वप्रथम विजय भट्ट जी ने
महजबी को ‘लेदरफेस’ में बाल कलाकार के तौर पर उतारा था। लगभग आठ फिल्में बाल कलाकार के
तौर पर अभिनीत करके घर की गाड़ी चलने लगी। जो महजबी के खेलने और स्कूल जाने के दिन
थे वो कैमरे की तेज लाइटों में गुजर गये। बकौल मीना कुमारी-“हमने तो कभी जाना ही
नहीं कि बचपन क्या होता है” और जवानी की दहलीज पर पहुंचते पहुंचते मीना को उन्हीं विजय भट्ट जी ने
अपनी निर्माण कंपनी प्रकाश पिक्चर्स के बैनर तले फिल्म ‘बैजू बावरा’ में भारत भूषण के
साथ हीरोइन बना दिया। फिल्म ने रातों रात पूरे देश में मीना की अदायगी और नौशाद
अली के अमर संगीत की वजह से सफलता के झंडे गाड़ दिये। इसके बाद मीना कुमारी ने ‘एक ही रास्ता’, ‘मिस मेरी’, ‘शारदा आजाद’, ‘परिणीता’ आदि फिल्मों मे कामयाबी
के परचम लहरा दिये।
![]() |
फूल और पत्थर' में धर्मेंद्र के साथ मीना कुमारी |
अब ‘मीना’ बन गई शायरा
लेकिन अपनी वेदनापूर्ण जीवन और वातावरण में
बेवफाई ने मीना कुमारी को एक शायरा बना दिया। और फिल्म इंडस्ट्री में ट्रेजडी
क्वीन के खिताब से उन्हें नवाजा जाने लगा। ‘दिल अपना और प्रीत पराई’, ‘दिल एक मंदिर’, ‘फूल और पत्थर’ और ‘साहिब, बीबी और गुलाम’ आदि कालजयी फिल्मों में उन्होंने अपनी कलाकारी का सिक्का जमा दिया।
मगर सफलता के साथ साथ लोगों ने उनके रूप और धन दौलत का शोषण शुरू कर दिया।
प्रसिद्ध फिल्म स्टार धर्मेंद्र को सफलता की चोटी पर लाने का श्रेय मीना कुमारी को
जाता है। ‘फूल और पत्थर’ से पहले वो मुंबई छोड़ कर अपने गांव चले गये थे। लेकिन मीना कुमारी के
बुलाने और अपने साथ हीरो बनाने के वादे के साथ वह मुंबई वापस आये। यह ज्ञातव्य है
कि फिल्म ‘फूल और पत्थर’ की कामयाबी के बाद धर्मेंद्र मे फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। ऐसा कहा
जाता है कि उस जमाने में मीना कुमारी ने धर्मेंद्र के अलावा किसी और अभिनेता के
साथ काम करने से इनकार कर दिया था। ठीक इसके विपरीत धर्मेंद्र सफलता की चोटी पर
पहुंच गये तो उन्होंने सभी फिल्म निर्माताओं से अपनी होने वाली दूसरी पत्नी हेमा
मालिनी को अपनी आगामी फिल्म में हीरोइन बनाने के लिए कहा करते थे। तब मीना कुमारी
धर्मेंद्र के जहन में आस-आस कहीं नहीं होती थी। यह कलयुगी मतलबी दुनिया का दस्तूर
कोई नई बात नहीं है। इसके अतिरिक्त मीना कुमारी का नाम फिल्मी गॉसिप्स में कभी
भारत भूषण, कभी गुलजार साहब और सावन कुमार के साथ लिया जाने लगा।
जब ‘छोटी बहू’ को पीने की लत लग गई
निराशा में मीना कुमारी को शराब पीने और गुटखे
खाने की लत लग गई थी। सब रिश्तेदारों और परिचितों को उनकी दौलत पर नजर रहती थी।
ऐसे माहौल में गुरुदत्त की क्लासिक फिल्म ‘साहब बीबी और गुलाम’ में मीना कुमारी ने ‘छोटी बहू’ का बेहतरीन अभिनय किया था। जो अपने पति को खुश करने के लिए खुदस शराब
पीती है ताकि उसका पति अपनी पत्नी को छोड़कर किसी मुजरे में दूसरी औरतों के पास ना
जा सके। और यह शराब की आदत मीना कुमारी को मृत्युपर्यंत लगी रही। ऐसा कहा जाता है
कि पैसे के अभाव में वो देसी ठर्रा भी पीने लगी थी और मृत्यु शैय्या पर भी तंबाकू
वाले गुटखों को अपने गले में उतार रही थीं।
![]() |
'पाकीजा' में मीना कुमारी |
‘पाकीजा’ का मुहूर्त मुंबई के मराठा मंदिर थियेटर में रखा गया था। स्वयं अपनी
पिक्चर को प्रमोट करने के लिए कमाल अमरोही मीना का ‘पाकीजा’ वाली काट्यूम में थियेटर में लाये थे। बीमारी और पीला जर्द चेहरे वाली
मीना को जब थियेटर में लाया गया तो वो अपने आस-पास लोगों को पहचान भी नहीं पा रही
थी। अत: फिल्मी कास्ट्यूम में लिपटी एक पीली जर्द मीना को कमाल साहब मीना को आधी
फिल्म के बाद ही उठाकर ले आये थे।
‘पाकीजा’ फिल्म को शुरू करने में धीमी सफलता मिली थी। तमाम जिंदगी मीना कुमारी
का किसी ने साथ नहीं दिया था, शराब छोड़ कर। इस बीमारी की वजह से मीना कुमारी को सेंट एलिजाबेथ
अस्पताल में भर्ती कराया गया। आखिर में दुनिया की बेवफाई और अपनों की लूट-खसोट ने
मीना के दिल से जीवन का मोह खत्म हो गया था।
अस्पताल में उनके अपने कोई पुरसां हाल पूछते नज़र
नहीं आते थे।
‘पाकीजा’ बिकती रही, मीना की मौत होती रही
आखिर 31 मार्च सन् 1972 को इस सौन्दर्य की देवी का उसी अस्पताल में निधन हो गया जहां पर वो
दाखिल थीं। उस समय मीना पैसों-पैसों की मोहताज थीं। जो कुछ अपार दौलत उनके पास थी
वो उससे अपने जरूरतमंद रिश्तेदारों की मदद करती थी और बाकी की अकूत दौलत करीबी
रिश्तेदार और चाटुकार हजम कर गये थे।
अस्पताल का बिल भी उन इंसानी डॉक्टरों ने चुकाया
था दो मीना जी की कला और अभिनय के मुरीद थे। इन सबने मीना जी को तिल-तिल मौत के
आगोश में जाते देखा था।
उस दिन अस्पताल के फर्श पर मूंडा की चटाई पर मीना
की मैय्यत रखी थी और दूसरी ओर मीना की मौत की खबर सुनकर ‘पाकीजा’ फिल्म खचाखच
थियेटरों में लाखों रुपये कमा रही थी। मगर मीना अपनी ही क्लासिक फिल्म ‘पाकीजा’ को पूरी तरह नहीं
देख सकी थी।
अपनी ही शायरी के मुताबिक :-
सदियों राह देखेगा जहां,
हम इसे छोड़ जायेंगे तन्हां।
-चंद्रमोहन बुद्धिराजा
(यह लेख ‘पिक्चर प्लस’ के दिसंबर अंक में
प्रकाशित हो चुका है। लेखक वरिष्ठ सिनेमा प्रेमी हैं। दिल्ली में रहते हैं।)
इस टिप्पणी को लेखक ने हटा दिया है.
जवाब देंहटाएंज़्यादातर film stars की यही कहानी होती है...!!
जवाब देंहटाएंAaj Kamal studio me ek serial shoot karte waqt ye padha aur bahut deer Tak Meena Kumari jaisi adakara ke be basi par soochta Raha. Naman hai aise mahaan kalakaar ko
जवाब देंहटाएंरणवीर सिंह का नया वीडियो खून भरी मांग उनके साथ हीरोइन हैं फराह खान
जवाब देंहटाएंगोविंदा के इल्जामों पर वरुण धवन ने साधी चुप्पी कहा मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा है
मामी ने दिखाया स्वर्ग का दरवाजा (Mammi Ne Dikhaya Swarga Ka Darwaja)
देश के सबसे अमीर अंबानी परिवार के बारे में ये सब नहीं जानते होंगे आप
इस महाराजा ने बनाया था क्रिकेट और पटियाला पैग का अनोखा कॉकटेल
आखिर क्यों ये लड़की रोज लगाती है शमशान घाट के चक्कर
शादी से एक सप्ताह पहले मां बेटे के कमरे में गई तो पैरों तले खिसक गई जमीन
Antarvasna युवकों की आम यौन समस्यायें
इस तरह के कपड़े पहनना दरिद्रता को न्योता देता है
सलमान की खास दोस्त यूलिया ने किया एक और गाना रिकॉर्ड
वैलेंटाइन डे पर बेडरूम में बस रखें ये खास चीज और फिर देखें कमाल