छोटा पर्दा कब ‘बड़ा’ होगा?
नन्हें पिया की मासूम-सी लव स्टोरी पर महाभारत
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'पहरेदार पिया की' सीरियल का एक दृश्य : तेजस्वी प्रकाश व अफान खान |
-संजीव श्रीवास्तव
नौ साल के उस
अध-किशोर की आंखों में मोहक मुस्कान खिलती है। उसके होठों पर एक मासूम वंदना है-“क्या तुम मुझसे से शादी करोगी”? जवान युवती साश्चर्य मुस्कराती है, जैसे स्वयं से गुदगुदी
हुई-“शादी और आपसे? आप इतने छोटे और मैं
इतनी बड़ी”।
सोनी चैनल पर दिखाये
जा रहे ‘पहरेदार पिया की’ सीरियल के पहले एपीसोड का ये एक रोचक-रोमांचक
संवाद और दृश्य है। इसके बाद के एपीसोड्स में कहानी कुछ यूं मोड़ लेती है कि
अध-किशोर रतन सिंह की सुरक्षा एक चुनौती बन जाती है और उस बालक
की रक्षा करने के मकसद से युवती यानी दीया उससे शादी करने को राजी हो जाती है। जिसके
बाद उस सीरियल में सुहाग रात के प्रतीकात्मक दृश्य भी दिखाये जाते हैं। बस इतनी सी
बात है जिसको लेकर इस कहानी पर महाभारत छिड़ गई।
टीवी जगत के कुछेक
सितारे और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्राइम टाइम में एक नाबालिग की बालिग युवती से
शादी और रिश्ते को लेकर सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास भी शिकायत की और उसका
प्रसारण रोकने की मांग की। जिसके बाद धारावाहिक के निर्माता शशि और सुमीत मित्तल
को सामने आकर सफाई देनी पड़ी कि जिस मंशा और आशंका के चलते सीरियल की कहानी का
विरोध किया जा रहा है-वह निर्मूंल है। क्योंकि हमारा मक़सद मादकता दिखाना नहीं
बल्कि मासूमियत का प्रसार करना है।
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9 साल का दूल्हा और 18 साल की दुल्हन |
बहादुर ‘परी’ की कहानी
विवाद बढ़ने पर इस
सीरियल के कुछेक एपीसोड्स मैंने भी जब यूट्यूब पर देखे तो मुझे इस कहानी में दो
खेमा नजर आया। एक खेमा संपत्ति के लालच में नौ साल के एक बच्चे यानी रतन सिंह के भोलापन,
उसकी हर अदा में छिपी मोहकता का दुश्मन बन बैठा है तो दूसरे खेमे में 18 साल की
खुद दीया है जो अपने नन्हें पति की ना केवल मासूमियत अपितु उसके अस्तित्व की भी रक्षक
बन बैठी है। यहां यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि निर्देशक और कहानीकार ने बड़ी
ही सूझबूझ के साथ कहानी के प्रारंभ में ही रतन सिंह की जुबान से दीया को यह कहलवाया
है-“तुम मुझे परी जैसी लगती हो”। और जैसा कि हम जानते हैं किस्से
कहानियों में परियां केवल सौन्दर्य की देवी नहीं होतीं बल्कि वह बहादुर, जांबाज़
तथा जीवनरक्षक भी होती हैं। दिया यहां रतन के लिए वही बहादुर, जांबाज़ तथा
जीवनरक्षक परी साबित होती है। यह इस कहानी का दमदार पक्ष है।
वैसे किसी भी सीरियल की कहानी तयशुदा नहीं होती। किरदार के समीकरणों को मिलने वाली टीआरपी आगे की कहानी तय करती है। लिहाजा इस सीरियल में भी आगे और क्या-क्या होगा फिलहाल यह नहीं बताया जा सकता।
वैसे किसी भी सीरियल की कहानी तयशुदा नहीं होती। किरदार के समीकरणों को मिलने वाली टीआरपी आगे की कहानी तय करती है। लिहाजा इस सीरियल में भी आगे और क्या-क्या होगा फिलहाल यह नहीं बताया जा सकता।
फिल्मों में दिखे हैं मिलते-जुलते प्रसंग
मुझे यह सीरियल
देखते हुए राजकपूर की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ के प्रारंभिक
दृश्यों की हल्की याद आ गई, जिसमें किशोर वय का किरदार ‘राजू’ यानी बचपन में
राजकपूर झाड़ियों
में छुपकर अपनी क्लास टीचर को कपड़े बदलते हुये देखता है और भीतर ही भीतर उन्माद
महसूस करता है। क्लास टीचर को जब इसका अहसास होता है तो वह अपने सहकर्मी से इस बात
का जिक्र करती हैं-और तब वह सहकर्मी कहते हैं कि यह फीलिंग्स किशोरावस्था की पहचान
हैं। बच्चे परियों की परिकल्पना में खो जाते हैं। इस सीरियल में रतन सिंह शुरुआत
में छुप-छुप कर दीया का पीछाकर उसकी खूब फोटोग्राफी करता है।
इसके अलावा मनीषा
कोइराला और आदित्य सील की फिल्म ‘छोटी-सी लव स्टोरी’ की भी याद आ गई। जहां मनीषा कोइराला का
दैहिक संबंध अपने से 10 साल छोटे किशोर युवक से हो जाता है। ‘छोटी-सी लव स्टोरी’ पर भी उस वक्त कम
विवाद नहीं हुआ था।
देदिप्या जोशिल ने
साल 2015 की ‘सांकल’ फिल्म बनाई थी जिसकी पृष्ठभूमि भी
राजस्थान की है और उस कहानी में परंपरागत तरीके से कम उम्र के लड़के की शादी उससे उम्र
में काफी बड़ी युवती से करा दी जाती है।
सबसे बड़ा सवाल
सीरियल का सामाजिक
स्तर पर अगर विरोध हो रहा है तो इस संबंध में सामाजिक स्तर पर ही सवाल भी उठाये
जाने चाहिये। सवाल है कि जिस समाज में पति बुजुर्ग हो सकता है और उसकी पत्नी
नाबालिग हो सकती है वहां संपत्ति संरक्षा के नाम पर एक पत्नी अपने पति से उम्र में
बड़ी क्यों नहीं हो सकती? अगर कोई पत्नी रक्षा की ढाल बनकर हुंकार भरती है
तो समाज उसका विरोध क्यों करना चाहता है? गोकि इस सीरियल का यही मक़सद है कि घर की
रक्षा केवल पुरुष ही नहीं बल्कि स्त्री का भी कर्तव्य होता है। ‘बालिका वधू’ सीरियल हमने देखा है-वहां केवल बाल विवाह
नहीं दिखाया गया था बल्कि बेमेल विवाह भी दिखा गया था। ‘देवदास’ जैसी चर्चित फिल्म
में अधेड़ जमींदार से पारो की शादी कर दी जाती है। ‘अनोखा रिश्ता’ फिल्म में अधेड़
राजेश खन्ना 18 साल की साबिया पर आसक्त हो सकते हैं याकि ‘चीनी कम’ तथा ‘नि:शब्द’ में अधेड़ अमिताभ
बच्चन अपने से काफी कम उम्र की युवती से रिश्ता बना सकते हैं लेकिन उस पर प्रतिबंध की कहीं से मांग नहीं उठती। दरअसल स्त्री विवशता की दारुण कथा देखना सबको
मंजूर है लेकिन इसके उलट प्रतिकार की कहानी देखना बर्दाश्त नहीं। एक स्त्री की
लाचारी पर यह समाज संवेदना
तो जताना
चाहता है लेकिन उसकी बहादुरी और जांबाजी को हममें से ज्यादातर लोग दिल खोलकर देखना
और सराहना नहीं चाहते। इसी छोटे पर्दे पर किसी दौर में व्यावहारिकता से अलग कॉरपोरेट
घरानों की बहुओं के बहुसंबंधों तथा उनके बहुविवाहों की कहानियां तो जब खूब दिखाई
गईं, लेकिन उन संबंधों के प्रसारण पर बैन की मांग कभी नहीं उठी।
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सीरियल में सुहागरात का विवादित एक दृश्य |
छोटा पर्दा कब ‘बड़ा’ होगा?
याद कीजिये साल 2008
के बाद का वह दौर, जब कलर्स चैनल ने ‘बालिका वधु’, ‘उतरन’ और ‘ना आना इस देश लाडो’ जैसे धारावाहिक को
प्रसारित कर भारतीय सीरियल की दुनिया ही बदल दी थी तो ज़ीटीवी ने ‘अगले जनम मोहे
बिटिया की कीजो’ के माध्यम से कॉरपोरेटी घरानों की लकदक पोशाकों
वाली कहानियों को ध्वस्त कर दिया था। इन
सभी कहानियों में बालिकाओं के संरक्षण तथा उसके साथ होने वाले सामाजिक अन्यायों को
प्रमुखता से दिखाया गया था। और इसी क्रम में विवाद भी कम नहीं हुये थे। सामाजिक
संगठन से लेकर सरकारी निगरानी तक में इससे जुड़े सवाल उठाये गये थे। तब भी इन
धारावाहिकों को बैन करने की मांग उठी थी। क्योंकि सामाजिक कुरीतियों के ठेकेदारों
को इन कहानियों में दिखाई जा रही है साहसी सचाइयों का सामना करने की हिम्मत नहीं
हो पा रही थी। हालांकि निजी चैनलों की साहसिकता की बदौलत ये सीरियल चलते रहे।
लेकिन इन सीरियलों के बंद होने के बाद कड़वी सचाई वाली कहानी ट्रेंड से एक बार फिर
से बाहर हो गई और लौट के आ गया ग्लौसी परिवेश। सास, बहू, ननद, देवरानी, जेठानी, बूआ
और भाभी की चुहलबाजियों की महफिल से छोटा पर्दा फिर आबाद हो गया।
सोनी चैनल ने ‘जस्सी जैसी कोई नहीं’ जैसे नायिका प्रधान सीरियल के लंबे अरसे बाद ‘पहरेदार पिया की’ सीरियल के माध्यम
से घरेलू महिलाओं की जागरुरता की कहानी दिखाना शुरू किया तो बाजार की प्रतिस्पर्धा
उस पर कंटेंट बदलवाने का दबाव बनी रही है। जबकि एक सचाई यह भी है कि सीरियल में नौ
साल के रतन सिंह के किरदार में अफान जमील खान तथा दीया के किरदार में ‘स्वरागिनी’ फेम तेजस्वी प्रकाश
का अभिनय काफी पसंद किया जा रहा है।
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