ये कंगना है या 'सलमान खान' या कि 'संजीव कुमार'?
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सात रंगों में 'सिमरन' |
फिल्म - सिमरन
निर्देशक – हंसल मेहता, निर्माता- भूषण कुमार
मुख्य सितारे – कंगना रनौट, हितेन कुमार, किशोरी शाहाने, सोहम शाह, ईशा तिवारी
रेटिंग
– 2
अगर कहें कि ‘सिमरन’
की कंगना रनौट
सलमान खान है - तो कोई गलत नहीं। दरअसल कंगना पूरी फिल्म में छाई हुई है। सलमान
खान की हाल की कुछेक फिल्मों को देखियें तो उनमें कहानी से ज्यादा हरेक सीन में सलमान
की प्रेजेंस को अहमियत दी गई है। यही हाल ‘सिमरन’ में भी है-निर्देशक हंसल मेहता ने कंगना को ‘सिमरन’
में सलमान खान बनाकर पेश किया है। हिन्दी में ऐसी बहुत कम फिल्में हैं जहां एक महिला
किरदार खुद में एक कहानी है। विद्या बालन की ‘कहानी’ को याद कीजिये या ‘इंग्लिश
विंग्लिश’ में श्रीदेवी को- यही बात ‘सिमरन’
में भी है। वास्तव में हंसल मेहता की अपनी विशिष्ठ शैली है-जहां किरदार के इर्द
गिर्द कहानी होती है। उनकी पिछली दो बहुचर्चित फिल्में ‘शाहिद’
और ‘अलीगढ़’ में भी किरदार ही कहानी है ना कि कहानी में कोई
किरदार फिट है। हां, यह कह सकते हैं कि यह प्रयोग सभी जगह सफल हो
ही जाये।
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जिंदगी को खुलकर जीने की कोशिश |
बात जहां तक ‘सिमरन’
की है तो यहां कंगना ने अपनी प्रतिभा की पताका लहरा दी है। सिमरन की जिंदगी में
सातों रंग और रस हैं। गुस्सा, प्रेम, सौन्दर्य, छल, क्रोध, लालच, स्फूर्ति आदि सभी
रस यहां देखने को मिलते हैं। ‘नया दिन नई रात’ के संजीव कुमार की
तरह उसने यहां उतने किरदार तो नहीं निभाये लेकिन उन सात रसों को कंगना ने अपने
कुशल अभिनय में जरूर उतारा है। उसके चेहरे पर भाव इतनी तेजी से आते जाते हैं मानो
आप कोई स्पेशल इफेक्ट्स देख रहे हैं। वह मुस्कराती है, खिलखिलाती है, जिंदगी को बिंदास
जीती है, जुआ खेलती है, शराब पीती है, भारतीय महिला होकर अमेरिका में बैंक लूटती
है, प्रेम करती है, प्रेम में ठोकर खाती है, फिर उठ खड़ी होती है-बिंदास अट्टहास
लगाती है-लेकिन निगेटिव करेक्टर का जैसा कि भारतीय फिल्मों में अंत होता आया है- परंपरागत
तौर पर उसे ही यहां भी दिखाया गया है।
कहानी में क्या
है?
फिल्म की कहानी
अमेरिका में रह रही पंजाबी महिला संदीप कौर की जिंदगी से प्रेरित है जिसे 'बॉम्बशेल
बैंडिट' के नाम से जाना जाता है। संदीप कौर ने अमेरिका के
कुछ बैंकों में अकेले ही लूट की वारदात को अंजाम दिया था।
फिल्म में तलाकशुदा प्रफुल्ल पटेल यानी कंगना रनौट यही संदीप कौर बनी है जो
अपने माता-पिता के साथ रहती है। वह हाउसकीपर के रूप
में होटल में काम करती है। उसके माता-पिता चाहते हैं कि वह दोबारा शादी कर ले, लेकिन वह किसी रिश्ते में दोबारा नहीं बंधना चाहती- सिंगल ही
रहना चाहती है। केसिनो में हारने
के बाद उसकी जिंदगी में तूफान आता है। उसे एक प्राइवेट मनी वेंडर पैसे देता है
लेकिन प्रफुल्ल उसे भी हार जाती है। जिसके बाद कुछ गुंडे वसूली के लिए उसके पीछे
पड़ जाते हैं। इसी उधार को चुकाने के लिए प्रफुल्ल बाद में सिमरन बन जाती है और
बैंकों को लूटना शुरू कर देती है। लेकिन अंत में वह पकड़ी जाती है।
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हर अंदाज है बिंदास |
क्यों देखें
यह फिल्म?
अगर
आप कंगना रनौत के फैन हैं तो यह फिल्म आपके लिए बहुत मायने रखती है। क्योंकि यहां
कंगना ‘क्वीन’ से कहीं कमतर साबित नहीं हुई
है। पूरी फिल्म कंगना के दमपर आगे बढ़ती है। वही इस फिल्म का हीरो है और हीरोइन
भी। लेकिन अगर आप कहानी के ट्रीटमेंट के हिसाब से फिल्म देखेंगे तो यह फिल्म आपको
निराश करेगी क्योंकि बहुत साहसिक और ग्रे किरदार की कहानी होकर भी बहुत जगहों पर बिखराव
है। उसे सुगठित और आकर्षक या कहें कि थ्रिंलिंग एडवेंचर्स से लैस होकर प्रस्तुत
नहीं किया गया है। हां, भारतीय थियेटर में बैठे बैठे दो घंटे तक अगर प अमेरिका
घूमना चाहते हैं तो ये फिल्म एक अच्छा मौका जरूर देती है।
गौरतलब
है हंसल मेहता और कंगना रनौट दोनों ही राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता हैं-लेकिन उस टेस्ट
का कंपोजीशन यहां आपको नहीं दिखेगा। वस्तुत: हंसल मेहता ने पूरी फिल्म को कंगना के कंधे पर ही डाल दी है और कंगना ने
केवल अपने किरदार को आउटस्टैंडिंग तरीके से निभा दिया है, बाकी काम का क्रेडिट
उसकी जिम्मेदारी से बाहर है। कंगना के अतिरिक्त बाकी कलाकार दूल्हे के सामने
बाराती की तरह हैं। गीत, संगीत, पटकथा, संवाद आदि की विशेष बात ना भी करें तो
बैकड्रॉप और बैकग्राउंड स्कोर दर्शकों को लुभाता है।
‘सिमरन’ फिल्म को दो स्टार और
अभिनेत्री कंगना रनौत को पांच स्टार।
"फ़िल्म के सटीक आंकलन" की बधाई !💐
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