ऑस्कर में बॉलीवुड से मौलिक फिल्म क्यों नहीं भेजी
जाती?
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'सीक्रेट बैलेट' से प्रेरित है 'न्यूटन'? |
महान वैज्ञानिक आईज़क न्यूटन ने ऐसा कोई नियम
नहीं बनाया था जिसमें चोरी के विपरीत सीनाजोरी का सिद्धांत प्रतिपादित किया गया हो
लेकिन हिन्दी फिल्म ‘न्यूटन’ के निर्देशक अमित वी. मसूरकर ने जिस भोलेपन से यह खारिज कर दिया कि
उनकी फिल्म ईरानी फिल्म ‘सीक्रेट बैलेट’ से प्रेरित नहीं है तो तमाम फिल्मप्रेमियों ने भी उनकी दलील की
प्रतिक्रिया को सिरे से खारिज कर दिया है।
अमित वी. मसूरकर ने कहा है “हमने
इस फिल्म (न्यूटन) की स्क्रिप्ट लिखते वक्त 'सीक्रट
बैलेट' के बारे में सुना भी नहीं था। अगर यह उस फिल्म की
कॉपी होती तो क्या हम इसे बर्लिन और ट्रिबेका में प्रदर्शित करते? दूसरी फिल्म ने भी अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीता है। 'न्यूटन' किसी फिल्म की कॉपी
नहीं है और ना ही किसी से प्रेरित है।”
नकल का आरोप लगने के बाद हरेक निर्देशक का
करीब-करीब यही जवाब होता है लेकिन यू ट्यूब पर उपलब्ध ‘सीक्रेट बैलेट’ को जब आप देखेंगे
तो एक नहीं बल्कि अनेक समानताएं ‘न्यूटन’ फिल्म से नजर आयेंगी। गौरतलब है कि किसी फिल्म की कहानी के विषय का
मिलना इत्तेफाक हो सकता है लेकिन सीक्वेंस और संवाद भी मिले, यह इत्तेफाक कत्तई
नहीं हो सकता।
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'न्यूटन' में राजकुमार राव |
‘न्यूटन’ की कहानी क्या है?
‘न्यूटन’ फिल्म की कहानी छत्तीसगढ़ के एक नक्सल प्रभावित जंगली इलाके की है, जहां सालों से
मतदान नहीं हुये। नक्सलियों के डर से लोग वोट डालने नहीं जाते। और चुनाव अफसर भी
यहां जाने से कतराते हैं। कहानी में इस इलाके में चुनाव कराने और इस दौरान होने
वाली परेशानियों को दिखाया गया है। विषय की गंभीरता और उसके ट्रीटमेंट को देखते
हुये फिल्म ने 67वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी वाह-वाही लूटी थी।नकल के
आरोप के बावजूद इस बात की तारीफ होनी चाहिये कि फिल्म में राजकुमार राव के अलावा
पंकज त्रिपाठी, रघुवीर यादव और अंजलि पाटील ने अच्छी भूमिकाएं निभाई हैं। इन्हीं
खूबियों को देखते हुये भारतीय फिल्म संघ (एफएफआई) ने कहा कि राजनीतिक व्यंग्य
आधारित फिल्म न्यूटन ऑस्कर 2018 के लिये भारत की ओर से आधिकारिक रूप से भेजी
जायेगी।
फिल्म का एक संवाद बहुत ही बनावटी लगता है कि
माता-पिता ने उसका ‘नूतन कुमार’ नाम रखा था जिसे 10वीं में फॉर्म भरते हुये उसने ‘न्यूटन’ कर दिया। भला
बताइये आपने आस-पास कितने पुरुषों का नाम ‘नूतन’ सुना है?
‘सीक्रेट बैलेट’ की कहानी क्या है ?
ईरानी फिल्म ‘सीक्रेट बैलेट’ को बाबक पयामी नेने निर्देशित किया था। इसकी कहानी में भी दूरदराज इलाके में मतदान करवाने
के दौरान होने वाली परेशानियों को बयां किया गया है। इस फिल्म में भी एक सरकारी
कर्मचारी अहम किरदार है जिसकी जिम्मेदारी कठिन हालात में शांतिपूर्वक चुनाव
संपन्न करवाना है। ‘न्यूटन’ की तरह यहां भी दूसरा अहम किरदार एक सिक्योरिटी अधिकारी का है, जो हर कदम पर सरकारी
कर्मचारी को चुनाव ना कराने की बातें करता रहता है।
दोनों फिल्म में अंतर क्या है?
दोनों फिल्म में अंतर केवल इतना है कि ‘सीक्रेट बैलेट’ की कहानी के केंद्र
में महिला सरकारी अफसर है जबकि ‘न्यूटन’ में पुरुष सरकारी अफसर।
आरोप तो यहां तक लगता हुआ दिख रहा है कि दोनों फिल्मों का ना केवल विषय बल्कि कई सीन और डायलॉग
भी मिलते हैं। राजकुमार राव की ही तरह ईरानी फिल्म की महिला किरदार भी बैलेट बॉक्स
लेकर दौड़ती भागती दिखाई देती है। यहीं आपको बता दें कि ईरानी फिल्म ‘सीक्रेट बैलेट’ साल 2001 में ही रिलीज
हुई थी जिसे दुनिया भर के तमाम फिल्म समारोहों में दिखाया जा चुका है और फिल्म को
कई अवॉर्ड्स से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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कहानी ही नहीं कई सीन और संवाद भी मेल खा रहे हैं! |
‘न्यूटन’ को मिली है अच्छी
रिव्यू
पिछले शुक्रवार कई फिल्में
रिलीज हुईं जिनमें दस करोड़ से भी कम बजट की फिल्म ‘न्यूटन’ को सबसे अधिक स्टार मिले। मीडिया रिपोर्ट्स में ‘न्यूटन’ की कहानी से लेकर
राजकुमार राव के अभिनय की भी भूरि भूरि प्रशंसा की गई है। यहां तक कि सदी के
महानायक अमिताभ बच्चन ने भी राव की प्रशंसा में ट्वीट किया और मुबारकवाद दी, जिसके बाद राजकुमार राव ने भी त्वरित जवाब देते हुए
ट्विट कि “सर, आपका बहुत-बहुत शुक्रिया..हम
आपके प्यार और समर्थन के आभारी हैं। अद्भुत प्रदर्शन से हमें प्रेरणा देते रहें।
चरण स्पर्श।”
जाहिर है राष्ट्रीय पुरस्कार
विजेता अभिनेता राजकुमार राव के लिए अमिताभ बच्चन के प्रशंसा के शब्द किसी सम्मान
से कम नहीं थे। हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं कि राव ने इस फिल्म में बेहतरीन
अभिनय किया है। उनकी पिछली फिल्मों के मुकाबले यहां उनका अभिनय और भी निखरता हुआ
दिख रहा है। एक चुस्त और ईमानदार चुनाव अधिकारी के तौर पर उन्होंने बेहतरीन
प्रदर्शन किया है। तो वहीं आत्मा सिंह के तौर पर पंकज त्रिपाठी ने अपने किरदार में
जान डाल दी है। फिल्म ने शुरुआती कलेक्शन उत्साहजनक है।
अब क्या होगा?
अब बड़ा सवाल तो यह है कि ‘सीक्रेट बैलेट’ से मिलती जुलती कहानी
का राजफाश होने के बाद क्या अब भी ‘न्यूटन’ को ऑस्कर के लिये भेजा जायेगा? या किसी और फिल्म का चयन किया जायेगा? क्या भारतीय फिल्म संघ किसी और फिल्म का चयन कर रहा
है? अगर नहीं तो क्या ‘न्यूटन’ को भेजने से हमें ऑस्कर के नतीजे से पहले ही अवगत
नहीं हो जाना चाहिये? भारतीय फिल्में दुनिया भर में पताका लहरा रही हैं
लेकिन अहम सवाल तो यह भी है कि ऑस्कर के लिए हमारे पास एक मौलिक कहानी वाली फिल्म
क्यों नहीं है?
-संजीव श्रीवास्तव (Email:pictureplus2016@gmail.com)
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