कहानी सुनकर प्रोड्यूसर ने बना दी फिल्म
कोर्ट के ऑर्डर से लेखक को मिला क्रेडिट
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'मुआवज़ा' फिल्म का एक पोस्टर |
बॉलीवुड की इंडस्ट्री और मंडी में कहानी और गीत की चोरी का वाकया नया
नहीं है लेकिन कुछ ही लोग इस चोरी के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते हैं। ऐसे ही एक लेखक
हैं-अतुल गंगवार, जिन्हें लंबी लड़ाई के बाद कोर्ट की दखल से उनकी चोरी हुई कहानी
को उनका क्रेडिट मिला है। अन्नू कपूर अभिनीत ‘मुआवज़ा’ नामक यह फिल्म अगले
हफ्ते बॉक्स ऑफिस पर दस्तक दे रही हैं। फिल्म के लेखक को कैसे मिली कोर्ट से
कामयाबी, ‘पिक्चर प्लस’ ने उनसे बातचीत की।
पिक्चर प्लस - सबसे पहले तो आपको बधाई कि आपकी मेहनत लड़ाई रंग लाई, और एक लेखक को उसका
वास्तविक ‘मुआवजा’ मिल गया।
अतुल गंगवार - शुक्रिया।
पिक्चर प्लस - आपको अपनी कहानी की चोरी की जानकारी कब और कैसे मिली?
अतुल गंगवार – बात 2013 की है। मैं अपनी
फिल्म ‘बेचू भाई’ का प्री-प्रोडक्शन कर रहा था। मेरे एक मित्र है हरीश शर्मा, उनका फोन
आया। उन्होंने मुझसे पूछा-क्या मैंने अपनी कहानी बेच दी है? मैंने कहा-नहीं, मैं तो उस पर
फ़िल्म बना रहा हूं। उन्होंने मुझे एक फिल्मी पत्रिका की कटिंग भेजी जिसमे अन्नू
कपूर की मुख्य भूमिका में एक फिल्म के बारे में छपा था। किरदार का नाम और कहानी
बिल्कुल मेरी कहानी पर आधारित थी। जब मैंने निर्माता कंपनी के वेबसाइट पर चेक किया
तो मेरा संदेह विश्वास में बदल गया कि हो ना हो ये मेरी कहानी पर ही बनी है। इसके
निर्देशक को मैंने यह कहानी पहले सुनाई थी।
पिक्चर प्लस - आपने निर्माता-निर्देशक से जब अपना हक मांगा, तो उनकी क्या दलील
थी?
अतुल गंगवार - मैं कहानी की चोरी के बारे में पता चलते ही फ़िल्म
राइटर्स एसोसिएशन गया। वहां अपनी बात रखी। इसके बाद एसोसिएशन ने जांच की और 2014
में निर्णय दिया कि ‘मुआवज़ा’ फिल्म की कहानी मेरी कहानी ‘बेचू भाई’ पर आधारित है इसलिए कहानी लेखक का क्रेडिट और कुछ पैसा मुझे मिलना
चाहिए।
पिक्चर प्लस - एक रजिस्टर्ड कहानी के साथ ऐसा हो गया और स्क्रीन राइटर
संघ भी कुछ नहीं कर सका?
अतुल गंगवार - देखिये मेरे
मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता। एसोसिएशन ने पूरा काम किया। लेकिन निर्देशक और
निर्माता अगर उस बात को ना माने तो वो कुछ नहीं कर सकती।
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लेखक अतुल गंगवार : आखिर मिला क्रेडिट |
अतुल गंगवार - जब मुझे पिछले महीने पता चला कि फिल्म प्रदर्शित होने जा
रही है तो मेरे एक और निर्माता जो बड़े भाई की तरह हैं अतुल पांडेय जी, उन्होंने इस
मामले को सोशल मीडिया पर उठाया। राइटर्स एसोसिएशन के विनोद जी ने स्वत: संज्ञान
लेते हुए निर्देशक, निर्माता को लिखा और कहा कि कहानी लेखक का क्रेडिट मुझे मिलना चाहिए।
लेकिन निर्देशक-निर्माता की ओर से इसका कोई जवाब नही आया तो मजबूरन मुझे कोर्ट का
सहारा लेना पड़ा और मुझे खुशी है अदालत ने राइटर्स एसोसिएशन के निर्णय को आधार
मानते हुए मेरे पक्ष में फैसला दिया। इस फैसले को निर्माता ने भी स्वीकार किया।
पिक्चर प्लस – आपका अब तक अनुभव क्या कहता है? क्या बॉलीवुड में ये चलन आम है कि नये कहानीकारों
का प्लॉट बड़ी आसानी से चोरी हो जाता है? नये संघर्षशील लेखकों से अपनी कहानी की रक्षा के
संबंध में क्या अपील करना चाहेंगे?
अतुल गंगवार - इंडस्ट्री में मौका पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता
है। इस संघर्ष के दौरान बहुत से लोग ऐसे मिलते हैं जो आपकी मजबूरी का फायदा उठाने
की कोशिश करते हैं। मेरा नये लेखकों से सिर्फ इतना कहना है कि इंडस्ट्री में हर
विधा के लिए एक एसोसिएशन है आप उसके साथ जुड़ें। कल को आपके साथ कुछ गलत होता है तो
ये एसोसिएशन आपकी मदद कर सकती हैं। मेरे केस में एसोसिएशन का फैसला मेरे हक़ में था
तो कोर्ट को निर्णय लेने में आसानी हुई। आज मैं खुश हूं कि मेरे काम को स्वीकृति
मिली है, हालांकि इस बात का अफ़सोस है मैं अपनी फिल्म नहीं बना पाया। जैसी
प्रभु इच्छा। फिल्म सफल हो, सभी लोगों की मेहनत सफल हो, ऐसी मेरी शुभकामना है।
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(पिक्चर प्लस – नॉन-प्रोफिट फिल्म
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