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एक फ़िल्म जो लेख बनाना
चाहते थे...काश! वो पूरी गये होते!!
फिल्मकार लेख टंडन 'माधुरी' के संस्थापक-संपादक अरविंद कुमार के निकटतम मित्रों
में से थे। उन्होंने इस टिप्पणी में खुलासा किया है कि लेख एक ऐसी फिल्म बनाना
चाहते थे जिसे सिनेमाप्रेमी याद रखते, आखिर क्या थी वो फिल्म?
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लेख टंडन : जन्म : 13 फरवरी, 1929, निधन :15 अक्टूबर, 2017 |
मैं लेख टंडन जी के
जीवन वृत्त और उनके संस्मरणोँ के बारे मेँ कुछ न कह उनके अंतिम बरसों के सपने की
बात करूंगा। वह अपने सपने के कई नाम बार-बार रखते रहे। उन्होंने उस फिल्म के
स्क्रीनप्ले का आंशिक रफ़ ड्राफ्ट भी मुझे भेजा था। इसका एक नाम उन्होँने रखा था ‘तब ऐसा तो न था।’ यह विचार उन्होँने उन्हीँ पात्रोँ के
साथ कई भिन्न प्लॉटोँ मेँ लिखा। थीम था पाकिस्तान की उनकी यादें और एक मुसलमान
लड़की की याद जो उनकी कमजोर इंग्लिश सुधारती रहती है।
(नोट-लेख स्वयं टूटी
फूटी इंग्लिश लिखते थे। मुझे लगता था कि वह अपनी ही कहानी फ़िल्माना चाहते हैँ।)
वह कहानी कभी आयरलैंड
मेँ खुलती, कभी मुंबई मेँ, कभी स्यालकोट के किसी गांव में।
फ़िल्म का एक घटनाचक्र
कुछ इस तरह था।
नामचीन बूढ़े
निर्देशक ने मलाला पर एक बहुप्रशंसित और पुरस्कृत फ़िल्म बनाई थी। अब एक सम्मान
लेने के लिए उसे पाकिस्तान से न्योता आया है। उसे मोह है ‘नूरी’
से मिलने का। वह नहीं जानता कि वह अब कहां होगी, जबकि अब वह पाकिस्तान के एक
प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार में दादी है। एक अजीब सा उठापटक का माहौल है। आतंकवादी
समूह भी कहीं उस परिवार के एक धड़े से जुड़ा है।
फ़िल्म की परतें इस
यात्रा के वर्णन मेँ खुलेगी।
कहानी कुछ इस तरह
शुरू होती है...
-समाचार चैनलोँ पर
ब्रेकिंग न्यूज़।
-मलाला पर फ़िल्म
बनाने वाले सुप्रसिद्ध भारतीय निर्देशक रंजीत टंडन हवाई अड्डे से ग़ायब हो गए हैं।
कहां हैं कुछ पता नहीँ चल रहा। क्या वे स्वयं कहीं चले गए? किसी ने उन्हें उड़ा लिया? क्या किसी फिरौती की मांग आने वाली है?
-पाकिस्तान। रावलपिंडी।
हर रिपोर्टर के पास अलग कहानी है। रंजीत को ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। बचपन की सहेली ‘नूरी’
उसकी प्रेरणा है। हर विरोध के बावजूद वह साठ साल पहले पढ़ रही थी। रंजीत ने मलाला
में उसी की छवि उभारी है।
-भारत कभी हाफिज सईद
पर आरोप लगा रहा है, कभी पाकिस्तानी सेना के गुप्तचर विभाग आईएसआई पर।
-पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री आरोपों का खंडन कर रहे हैँ।
-आईएसआई का कहना है
कि रंजीत अमरीकन सीआईए का दलाल है। पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए उसने मलाला पर
फ़िल्म बनाई है।
(इसके आगे लेख टंडन
की कल्पना थी चार परस्पर विरोधी जासूसी समूहों के षड्यंत्रों के बीच ‘रंजीत’
का ‘नूरी’ से नाटकीय मिलाप। वह पाकिस्तानी विरोध
पक्ष के परिवार में है।)
यह पटकथा कभी पूरी न
हो सकी। एक कारण था-लेख जी की बढ़ी उम्र को देखते हुये कोई फ़ाइनेंसर बड़े बजट का रिस्क
लेने को तैयार नहीं था। लेख वह बना पाते तो इस काल की वह श्रेष्ठ फ़िल्मोँ मेँ
गिनी जाती।
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(लेखक ‘माधुरी’ फिल्म पत्रिका के संस्थापक संपादक हैं।
हिन्दी थिसारस के रचयिता। गाजियाबाद में निवास।)
Email : arvind@arvindlexicon.com
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