साड़ी वाली भाभी ‘सुलु’ बनकर विद्या बालन ने
एक बार फैलाई अपनी अभिनय प्रतिभा की सनसनी
फिल्म- तुम्हारी सुलु
निर्देशक - सुरेश त्रिवेणी
कलाकार – विद्या बालन, नेहा धूपिया, मानव कौल आदि
पिक्चर प्लस रेटिंग – 3.5
‘लगे रहो मुन्नाभाई’ में ‘गुड मॉर्निंग मुंबई’ बोलने वाली विद्या बालन इस बार लेट नाइट की आरजे बनी है-यानी रेडियो
जॉकी। वह साड़ी वाली भाभी है...इसके बावजूद अपनी प्रस्तुति में सेक्स अपील से जान
डाल देती है और जीन्स वाली जिमी छोरियों को भी अपनी रेस में पछाड़ देती है। सब्जी-भाजी
काटते हुये, बेटे की देखभाल करते हुये, पति की ख्वाहिशों पर खरी उतरते हुये, घर
बार संभालते हुये ‘सुलु’ हर कॉप्टीशन जीत जाती है।
‘सुलु’ किरदार वस्तुत: एक परिकल्पना है जिसमें घर-बार, बाजार से लेकर दफ्तर तक दौड़-भाग
करने वाली एक प्रतिभाशाली और मेहनती महिला का जज्बात दिखाया गया है...। उसमें पुरुषवादी
ख्वाहिशों को संतुष्ट करने वाली छवि है तो घर-घर की गृहणियों की दमित, पीड़ित आवाज
भी। उसकी कामकाजी बहनें उसे कमतर समझती हैं, जिसका उसे मलाल है। बेटा, पति सबके
समक्ष वह परंपरागत गृहणियों की छवि को तोड़ने की कोशिश करती है और इसी कोशिश में
जब वह एक दिन रेडियो स्टेशन पहुंचती है तो वहां उसकी दमित इच्छा जाग उठती है-“मैं भी कर सकती है।“ हालांकि रेडियो
जॉकी बनने के बाद उसकी पारिवारिक दिक्कतें कुछ बढ़ती हैं जोकि स्वाभाविक है। आगे
क्या होता है...जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
विद्या बालन उन अभिनेत्रियों में से है जो हर बार अपने किरदार से
मुठभेड़ करती है। परिणीता, कहानी, इश्किया या फिर डर्टी पिक्चर...जैसी फिल्मों में
अपने किरदारों को अपना-सा कलर्स पिरो कर विद्या ने बॉलीवुड में एक अलग मकाम बनाया
है। और ‘सुलु’ बन कर वह घर-घर की महिलाओं की चहेती बन गई हैं। हेमा, श्रीदेवी,
माधुरी और काजोल के पश्चात विद्या ही है जो हिन्दुस्तान के घर-घर में हिट है।
फिल्म में पति के किरदार में मानव कौल परफेक्ट दिखते हैं। सीधे सादे
पति, पत्नी को सहयोग करने की भूमिका में मानव का अभिनय आकर्षक है। वहीं रेडियो हेड
के तौर पर मैडम नेहा धूपिया भी ग्रेसफुल लगी हैं। फिल्म के गाने पहले से ही लोगों
की जुबान पर रहे हैं...।
लेखक और निर्देशक सुरेश त्रिवेणी ने इस फिल्म को उसी तरह मनोरंजक और
पारिवारिक बनाने का प्रयास किया है जैसा कि ‘इंग्लिश-विंग्लिश’ में ने किया था।
अक्सर आज की फिल्मों को यह कहकर खारिज किया जाता है कि उसे परिवार के
साथ नहीं देखा जा सकता लेकिन तुम्हारी सुलु...ऐसी फिल्म है...जिसे सबलोग मिलकर देख
सकते हैं। इसीलिये यह ‘सुलु’ केवल ‘तुम्हारी’ नहीं है....मेरी भी है...हम सबकी है। हिन्दुस्तान के घर-घर के पतियों को आज ऐसी
ही ‘सुलु’ की तमन्ना है।
आप सब इस फिल्म को जरूर देखिये।
-कल्पना कुमारी, फिल्म समीक्षक, पिक्चर प्लस
(Email:pictureplus2016@gmail.com)
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें