बदल रहा है भोजपुरी सिनेमा
चंपारण टॉकीज़
के बैनर तले बनी
भोजपुरी फ़िल्म ‘देसवा’ का इंतजार अब खत्म हो चुका है। हाल के दिनों में कई फिल्मकारों ने भोजपुरी
सिनेमा के स्वरूप को बदलने की ठानी है। उसी क्रम में यह फिल्म ‘देसवा’ है। बेवजह मार-धाड़, फूहड़ता, अश्लीलता तथा द्विअर्थी संवादों से दूरी-‘देसवा’ की विशेषता बताई जा रही है।
इस फ़िल्म के प्रोड्यूसर बॉलीवुड अभिनेत्री
नीतू चंद्रा तथा सी. एस. कुमार हैं जबकि डायरेक्टर नितिन चंद्रा हैं। नितिन चंद्रा
को मैथिली फ़िल्म ‘मिथिला मखान’ के लिए 63वें नेशनल अवार्ड समारोह में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों
सम्मान मिला था। नितिन चंद्रा निर्देशन में आने से पहले दिबाकर बनर्जी, तनुजा चंद्रा जैसे मंझे हुए निर्देशकों
को असिस्ट कर चुके हैं इसके बाद वो ‘ब्रिंग बैक बिहार’
नाम की एक
डॉक्यूमेंट्री तथा ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन बिहार’ नाम की फीचर फ़िल्म बना चुके हैं। भोजपुरी
फ़िल्म देसवा, देश-विदेश के कई इंटरनैशनल फ़िल्म फेस्टिवल में चुनी गई तथा काफी सुर्खियां
बटोरी। लिहाजा ‘देसवा’ के भी लीक से हटकर होने की उम्मीद बनती है।
नितिन चंद्रा ने फ़िल्ममेकिंग की हर एक
बारीकियों को ध्यान में रखते हुए इस फ़िल्म का निर्माण किया है जो कि फ़िल्म के
ट्रेलर में साफ झलकता है लेकिन अफसोस कि यह फ़िल्म सिनेमा हॉल में रिलीज़ नहीं होगी।
कई वर्षो के बाद किसी निर्देशक ने साहस दिखाया है और लीक से हटकर यानि अलग तरह की
भोजपुरी फ़िल्म बनाने का सफल प्रयास किया है।
यूं तो आए दिन भोजपुरी फिल्मों पर
अश्लीलता के आरोप लगते रहते हैं। शायद इसी वजह से लोगों का भोजपुरी फिल्मों के
प्रति रुचि दिन-प्रतिदिन कम हीता जा रही है। दर्शकों के एक बहुत बड़े वर्ग ने भोजपुरी
फ़िल्में देखना बंद कर दिया। दर्शकों की मानें तो भोजपुरी फिल्मों में अनावश्यक
अश्लीलता परोसी जाती है और आजकल पारिवारिक फिल्में न के बराबर देखने को मिलती है।
इन्ही अश्लीलता, द्विअर्थी संवाद और गानों के कारण निर्माता-निर्देशक से लेकर कलाकारों तक
की आये दिन किरकिरी होते रहती है।
जिस तरह से ‘देसवा’ का मेकिंग किया गया है, यह भोजपुरी इंडस्ट्री के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है और यह
इंडस्ट्री की कायाकल्प करने में कारगर साबित होती है लेकिन इस फ़िल्म के सिनेमाघर
तक ना पहुंचने की वजह से ऐसा लगता है हमने अश्लीलता की दोहरी मार झेल रही
इंडस्ट्री के कायाकल्प होने का एक सुनहरा मौका हाथ से गंवा दिया है।
फ़िल्म के मुख्य कलाकार क्रांति प्रकाश झा,
पंकज झा, दीपक सिंह, अजय कुमार, आरती पुरी, आशीष विद्यार्थी इत्यादि हैं जबकि नीतू
चंद्रा का गणेश आचार्य द्वारा कोरियोग्राफ किये गए एक गाने में स्पेशल अपीयरेंस
है। इस फ़िल्म के गाने सोनू निगम, शारदा सिन्हा, मीका सिंह, भारत शर्मा व्यास, श्रेया घोषाल, स्वानंद किरकिरे, सुनिधि चौहान, प्रभाकर पांडेय और रेखा राव के स्वर तथा आशुतोष सिंह के संगीत से सजे हैं। इस
फ़िल्म की पूरी शूटिंग्स बिहार के बक्सर तथा पटना में की गयी है। अगर आपको लगता है
की भोजपुरी में अच्छी फ़िल्म नहीं बनती है तो इस फ़िल्म को ‘नियो बिहार’ के यूट्यूब चैनल पर एक बार ज़रूर देखिये,
आपकी धारणा बदल सकती है।
-कल्पना कुमारी
Email- pictureplus2016@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें