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धर्मेंद्र - अमिताभ : अब और तब |
*अरविंद
कुमार
दिन भर मैँ शब्दोँ से जूझता रहता हूं। शाम पड़े
किसी भी तरह की बौद्धिक कार्रवाई से मुंह मोड़ लेता हूं। तब मैं बस टीवी पर (सही
कहूं तो स्टार चैनल पर) तथाकथित सोप आपेरा देखता हूं। इस क्रम से - 'इस
प्यार को क्या नाम दूं',
'सुहानी', 'साथिया'. फिर
एक घंटे के विराम में कुछ ख़बरें, डिनर
और उस के बाद 'निशा और उस के कज़िंस', अंत
में 'दीया और बाती'
और फिर बिस्तर पर पड़ कर सो जाना।
पिछली एक शाम 'इस प्यार को क्या नाम दूं' की हीरोइन आस्था अपनी मुंबइया चाल की छत से कह रही थी - अगर उसे मनाने के लिए नाराज़ श्लोक ‘आई लव यू’ नहीं कहता तो वह कूद पड़ेगी, चाल वालो, आप सब जेल में चक्की पीसिंग। फिर श्लोक ने ‘आई लव यू’ कहा भी। आस्था ख़ुशी से उछलने लगी। उछली तो गिर पड़ी। श्लोक ने उसे बांहों में थाम लिया।
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यह था 'शोले' फ़िल्म
में धर्मेंद्र के पानी की टंकी से कूद पड़ने की धमकी देने वाले मज़ेदार दृश्य का न
जाने शायद हज़ारवां दोहराव। ‘शोले’
फ़िल्म से अमिताभ सुपर हीरो बन
गए। पर लोगों को उस फि़ल्म से जो कुछ खास दृश्य याद हैं उनमें है धर्मेंद्र का यह
दृश्य।
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चुपके चुपके : धर्मेंद्र, शर्मिला व अमिताभ |
इसी तरह हृषिकेश मुखर्जी की बेहतरीन कॉमेडी 'चुपके चुपके' में धर्मेंद्र और अमिताभ साथ साथ हैँ। उसमें से सबसे स्मरणीय दृश्य अभी तक धर्मेद्र, शर्मीला टैगोर और ओमप्रकाश के बीच वाले दृश्य हैं।
*लेखक ‘माधुरी’
फिल्म पत्रिका के पूर्व संस्थापक-संपादक हैं।
गाजियाबाद में निवास।
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