पॉपुलर सिंगर
मिका सिंह से संजय सिन्हा की बातचीत
म्यूजिक के
क्षेत्र में एक जाना-पहचाना नाम मिका सिंह ने तेजी से बहुत ही तेजी से अपनी एक
मुकम्मल पहचान बनाई है। इन दिनों वह लगातार देश-विदेशों में स्टेज शोज कर रहे हैं
और फिल्मों के लिए भी गा रहे हैं। मिका सिंह से उनके मुंबई स्थित आवास पर हुई बातचीत के अंश :-
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सिंगर मिका सिंह |
सवाल - एक वह
दौर था जब आपने गाने की शुरुआत की और आज आप
एक अच्छे मुकाम पर हैं, कैसा 'फील'
करते
हैं? कभी
हैरानी नहीं होती है आपको?
मिका - मेरे घर
का माहौल ही ऐसा था कि मुझे इस क्षेत्र में आना ही था। मेरे पिता जी गुरूद्वारे
में कीर्तन गाते थे। संगीत उनके लिए पहला प्यार था। शास्त्रीय संगीत का अच्छा-ख़ासा
ज्ञान था उनको। उन्होंने पटना साहिब के गुरूद्वारे में भी ड्यूटी की। फिर मेरे बड़े
भाई दलेर मेहंदी साहब ने भी गायन के क्षेत्र में एक अलग जगह बनाई। 1991 से लेकर 98 मैंने उनके
साथ लगातार स्टेज शोज किये। 1998 में ही मेरा
पहला एलबम, रिलीज़ हुआ। इसके बाद तो मेरी बल्ले-बल्ले हो गई।
म्यूजिक के क्षेत्र में मुझे बहुत ज़्यादा परेशानी नहीं हुई, फिर भी मैंने
जीतोड़ मेहनत की और अपनी एक अलग जगह बनाने में कामयाब रहा। इसके लिए मैं वाहे गुरु
का भी शक्रगुज़ार हूं। इन सब बातों को लेकर मैं अच्छा फील करता हूं। मैं बड़ा काम
करना चाहता हूं, बड़ा बनना नहीं चाहता। मुझे हैरानी इसलिए नहीं
होती, क्योंकि मेरे अंदर कुछ करने का आत्मविश्वास था, और आज भी हैं।
मैं हर पल कुछ बेहतर करना चाहता हूं।
सवाल - फिल्म
इंडस्ट्री में आप किनको अपना आइडियल मानते हैं?
मिका - यूं तो
इंडस्ट्री में अच्छे लोगों की कमी नहीं हैं, मगर मैं
अमिताभ बच्चन जी का मुरीद हूं। इस उम्र में भी अमिताभ बच्चन साहब सक्रिय हैं। जब
वह पचास के थे, तब भी कुछ बेहतर करने का जूनून था और आज भी
उनमें मैं यह जूनून देखता हूं, तो एक ताक़त-सी मिलती है। वास्तव में वह मेरे लिए
एक प्रेरणास्त्रोत हैं। मैं जब भी उन्हें देखता हूं, नए जोश और
जूनून से भर उठता हूं। मेरे अंदर भी काम करने की भूख है। आज के दौर में इंडस्ट्री
में जमे रहना बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन मैं पिछले बीस सालों से टिका हुआ हूं और
लोगों का भरपूर प्यार भी मिल रहा है। यही मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।
सवाल - आप बीस
सालों से इंडस्ट्री का एक ख़ास हिस्सा बने हुए हैं और कामयाबी की बुलंदी पर हैं। आगे
नया क्या करना चाह रहे हैं आप?
मिका - सिंगिंग
तो चलता रहेगा, मगर अब मैं फ़िल्में भी बनाऊंगा। अपना एक
प्रोडक्शन हाउस शुरू करने जा रहा हूं। इसके तहत नए और प्रतिभावान कलाकारों को मौके दूंगा और अच्छी फ़िल्में
बनाऊंगा। हमारे देश में प्रतिभाओं की कतई कमी नहीं है।
सवाल - आपको
ऐसा नहीं लगता कि मैलोडी का सुनहरा दौर ख़त्म होता जा रहा है? कर्णप्रिय
गीतों की जगह कानफाडू संगीत ज़्यादा बजने लगा है?
मिका - अच्छा
और बुरा हर दौर में रहा है। कल भी था, आज भी है। आपका
ये कहना गलत है कि मैलोडी ख़त्म होती जा रही है। आज भी कर्णप्रिय गीत सुनने को
मिलते हैं। मैंने भी अच्छे गीत गाए। राहत फ़तेह अली खान, अरिजीत सिंह
जैसे सिंगर्स भी अच्छा गा रहे हैं। इनके गीतों में कहीं भी अश्लीलता या भोंडापन
नहीं होता है। बस इतना मान लीजिए कि कानफाडू गीतों की कोई उम्र नहीं होती पर
कर्णप्रिय गीत हमेशा सुने जाते हैं। ख़राब गीत आएंगे तभी अच्छे गीतों की वैल्यू
बढ़ेगी। अच्छा और बुरा हमेशा चलता रहेगा।
सवाल - फुर्सत
के लम्हों में क्या करते हैं आप?
मिका- जब भी
फुर्सत मिलती है रियाज़ करता हूं, गाने सुनता हूं। वैसे फुर्सत बहुत कम मिलती है, क्योंकि मैं
शोज बहुत करता हूं। अब तो म्यूजिक-डायरेक्शन के क्षेत्र में भी आ रहा हूं। कुल
मिलाकर म्यूजिक मेरा पहला प्यार है।
सवाल - आप तो पंजाब
से जुड़े रहे हैं और पंजाबी कल्चर पूरी दुनिया में मशहूर है। आपके गानों में पंजाबी
कल्चर का टच रहता है। कैसा महसूस करते हैं इस कल्चर को लेकर?
मिका - पंजाबियत
तो मेरे खून में है, इसलिए मेरे अंदाज़ और मेरे गीतों में पंजाबी
कल्चर का टच रहता है। इसके लिए मैं खुद पर गर्व करता हूं। मूलतः मैं पंजाब से हूं।
फिर दिल्ली चला आया और फिर मुंबई....पंजाब दा जवाब नहीं.....!
सवाल - अपने
प्रशंसकों को क्या मैसेज देना चाहेंगे?
मिका - यही कि
अच्छे गाने सुनते रहें, म्यूजिक को प्यार करें मुझे भी अपना प्यार देते
रहें।
(संजय सिन्हा
वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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