इस हफ्ते हिंदी
की कोई बड़ी फिल्म क्यों नहीं
रिलीज़ की गई?
फिल्म समीक्षा
लाजबाब
ताक़तें
द
इनक्रेडिबल्स 2
निर्देशक
- ब्रैड बर्ड
सितारें
- सैमुअल एल जैक्सन, होली हंटर, क्रैग टी नेल्शन, सारा वॉवेल
*रवींद्र
त्रिपाठी
सलमान
खान की फिल्म ‘रेस-3’ को खुला मैदान देने की वजह से इस हफ्ते बॉलीवुड की कोई हिंदी
फिल्म रिलीज नहीं हुई। इसलिए जो हिंदी फिल्म देखने के शौकीन हैं उनको इस हफ्ते `द इक्रेडिबल्स 2’ के
हिंदी रूपांतर देखने से ही काम चलाना पड़ेगा। इनक्रेडिबल्स श्रृंखला की पहली फिल्म
2004 में बनी थी। यानी चौदह बरसों के बाद ये दूसरी फिल्म आई है। हिंदी रूपांतर में
वॉयस ओवर का बड़ा हिस्सा हिंदी फिल्मों की चरित्र अभिनेत्री काजोल ने किया है।
संवादों के अनुवाद में भी हिंदी की प्रकृति का खयाल रखा गया है। ये एक एनिमेशन
फिल्म है। कॉमिक्स और एनिमेशन का मेल हुआ है। इसलिए मूल बात कहानी पर नहीं बल्कि
चरित्रों के वेशभूषा और अंदाज पर है।
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फिल्म के काफी हिस्से में काजोल की आवाज़ सुनने को मिलती है |
फिल्म
की कहानी
इसमें इनक्रेडिबल नाम का जो चरित्र है उसका नाम
लाजबाब रखा गया है। हिंदी में प्रचलित कुछ और नाम भी हैं, जैसे शक्तिमान और जूनियर
शक्तिमान। इनक्रेडिबल सुपर हीरो श्रृंखला की फिल्म थी और नई फिल्म भी उसी कड़ी है।
हां, ये सुपरहीरो सुपरमैन की तरह इंसान नहीं है जिनमें जादुई ताकत आ जाती है,
बल्कि येएनिमेशन के माध्यम से से बने हैं इसलिए अतिरंजित होने के बावजूद मनोरंजक
और विश्वसनीय होते हैं। इस बार की फिल्म यानी `इनक्रेबिल्स
2’ में ये दिखाया गया है कि लोगों की
मदद करनेवाले सुपरहीरो इनक्रेडिबल यानी लाजबाब
और दूसरे सुपरहीरो को सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है। ये सब अदालत के
आदेश से हुआ है। इसलिए लाजबाब एक घरेलू शख्स बन गया है। उसकी बीबी उसे बच्चों का
खयाल रखने को कहती है। और वह रखता भी है। लेकिन अपने तरीके से जिसके कारण घर में व्यवस्था
से अधिक अव्यवस्था पैदा होती है। जाहिर है ये सब हंसने हंसाने के लिए है। खैर, फिर
एक वक्त आता है कि लाजबाब यानी इनक्रेडिबल को नई चुनौती मिलती है। क्या वो इसे
स्वीकार करेगा? क्या उसका परिवार इसमें उसकी मदद
करेगा? इस बार का खलनायक बड़ा अजीब है।
फिल्म
में हंसी मजाक के ऐसे कारनामे हैं जो आम तौर पर यथार्थवादी फिल्मों में देखने को
नहीं मिलते। जैसे एक दृश्य में एक औरत लाजबाब से कहती है कि उसकी बिल्ली पेड़ पर
चढ़ गई है, क्या वह उसे उतार देगा? जरूर-
लाजबाब कहता है। फिर वह उस पेड़ को गिरा देता है जिस पर बिल्ली चढ़ के बैठी है। इस
तरह वह बिल्ली को उतारता है। इस तरह के कई और दृश्य इस फिल्म में है जो खूब हंसाते
हैं। यहां देसी फिल्म बनाम विदेशी फिल्म का फर्क महसूस किया जा सकता है। भारत में
बनने वाली फिल्मों में इस तरह के दृश्य जरा लंबे होते हैं ताकि दर्शक जरा देर तक
आनंद लेकर हंस सके। लेकिन हॉलीवुड की फिल्मों में ये दृश्य छोटे होते हैं। चूंकि
इन फिल्मों के दृश्य बदलने की गति बहुत तेज होती है इसलिए भारतीय दर्शक के जज्बे
को पूरी तरह उभरने के लिए वक्त नहीं होता।
निर्देशन
और तकनीक
अन्य
सुपरहीरो श्रृंखला की तरह `द
इनक्रेडिबल्स 2’ भी उन्नत तकनीक की फिल्म है। कई
दृश्य ऐसे हैं जो बेहतर तकनीक के कारण संभव हुए हैं। इस फिल्म में बच्चों की बड़ी
भूमिका है। इस तरह से ये एक पारिवारिक फिल्म भी बन गई है। फिल्म में इस बात को
रेखांकित किया गया है कि सुपरहीरो बनने के लिए सुपरपॉवर का होना जरूरी नही। उसके
बिना भी कोई सुपरहीरो बन सकता है। यानी साधारण आदमी भी सुपरहोरी हो सकता है। ये
फिल्म का संदेश है।
*लेखक
प्रख्यात कला मर्मज्ञ और फिल्म समीक्षक हैं।
दिल्ली में निवास। संपर्क- 9873196343
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