‘धड़क’ ने बढ़ाई श्रीदेवी के चाहने वालों की धड़कन
ईशान खट्टर और जाह्नवी फिल्म 'धड़क' में |
*संजीव श्रीवास्तव
श्रीदेवी ने बहुत सारी फिल्मों की कहानियों को दरकिनार करते हुए
जाह्नवी के लिए ‘धड़क’ फिल्म का चुनाव किया था। श्रीदेवी को इस बात की बखूबी जानकारी थी कि
कैरिअर की शुरुआत के लिए कहानी और किरदार का अहम होना बहुत जरूरी है। क्योंकि
श्रीदेवी खुद इस अनुभव को तब हासिल कर चुकी थीं जब उन्होंने महज सोलह साल की उम्र में ‘सोलहवां सावन’ (1979) फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी। ‘सोलहवां सावन’ एक तरह से नायिका
प्रधान फिल्म थी। उसमें श्रीदेवी का किरदार मुखर था। गांव में वह सबकी चहेती थी।
यह उस किरदार की खास पहचान थी। जैसा कि श्रीदेवी बाद की तमाम फिल्मों में अपनी
चुलबुली अदाओं के लिए जानी पहचानी गईं-उसकी एक झलक हम ‘सोलहवां सावन’ में देख चुके थे।
हालांकि उससे पहले भी ‘जूली’ (1975) में एक किशोरी की छोटी सी भूमिका में वह देखी जा चुकी थीं और
यहां भी उसका आंखों से चुलबुलाना खासतौर पर लोगों को खूब रास आया था।
‘सालहवां सावन’ में श्रीदेवी नायक अमोल पालेकर के किरदार के मुकाबले अधिक जीवंत है।
अमोल पालेकर का किरदार मानसिक तौर पर अस्वस्थ है इसके बावजूद श्रीदेवी का किरदार
उसके दिल के अधिक करीब है, क्योंकि श्रीदेवी अपनी इस पहली ही फिल्म में एक तरफ
प्रखरता और दूसरी तरफ भावुकता जैसी दो भावनाओं को एक साथ जीती हुई दिखाई देती हैं।
अभिनय की इस पहली बड़ी परीक्षा में वह पास हो गई थीं। यह अलग बात है कि 1979 के उस
दौर में जब अमिताभ बच्चन के सुपरस्टारडम का बोलबाला था तो भला अमोल पालेकर जैसे
सादगी भरे नायक की कोई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर व्यावायिक सफलता कैसे हासिल करती? लेकिन इससे
श्रीदेवी की अभिनय क्षमता पर कोई प्रश्नचिह्न खड़ा नहीं किया जा सकता था; बशर्ते कि जब तक उसे
कोई ऐसा नायक या कहानी-किरदार नहीं मिल जाता जो बिगबी के ब्लॉकबस्टर्स का मुकाबला
कर सके। और इसे अंजाम दिया जितेंद्र के साथ ‘हिम्मतवाला’ फिल्म ने।
बहरहाल बात जाह्नवी और उसकी ‘धड़क’ की करते हैं। जैसा कि पहले ही कहा गया कि चूंकि श्रीदेवी को अपनी पहली फिल्म ‘सोलहवां सावन’ का अंजाम बखूबी पता
था लिहाजा अपनी बेटी की पहली फिल्म में वह वैसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थीं
जिसका उन्हें अपने कैरियर की शुरुआत में सामना करना पड़ा।
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पहले प्यार का जज्बाती तेवर |
श्रीदेवी ने बताया था कि उसने कई सारी कहानियों को सुनने के बाद ‘धड़क’ को फाइनल किया था
क्योंकि यह फिल्म मराठी की बहुचर्चित फिल्म ‘सैराट’ की कहानी पर आधारित है। ‘सैराट’ मराठी सिनेमा और मराठी समाज के बीच हाल के सालों में सबसे अधिक चर्चा
हासिल करने वाली फिल्म रही है। इसकी कहानी में एक तरफ प्रेम के जज्बाती आवेग और
दूसरी तरफ समाज और परिवार के परंपरागत ख्यालात की टकराहट को बिल्कुल आधुनिक तेवर
के साथ प्रस्तुत किया गया था। श्रीदेवी को यह कहानी अपनी बेटी के डेब्यू के लिए बहुत उचित लगी और
उन्होंने फौरन इस पर अपनी सहमति दे दी थी। क्योंकि श्रीदेवी नहीं चाहती थी कि
जाह्वनी का कैरियर वैसी फिल्म से शुरू हो जिसकी कहानी में सार्थकता जैसी चीज़ ना हो।
ये अलग बात है कि अब जबकि श्रीदेवी इस दुनिया में नहीं है तो जाह्नवी अपनी मां की
इस पसंद के साथ आगे कहां तक खुद को निभा पाती है?
वैसे ‘धड़क’ में जाह्नवी का किरदार ‘सोलहवां सावन’ में श्रीदेवी के किरदार के तेवर से काफी मिलता जुलता है। ‘सोलहवां सावन’ में श्रीदेवी जितनी
मुखर और प्रखर दिखती हैं, ‘धड़क’ में भी जाह्नवी उसी तरह एग्रेसिव है। जाह्नवी किशोर वय
में अपने पहले प्यार के प्रति सम्मोहित रहने वाली उस लड़की की भूमिका में है जो
लड़के से पहले प्यार प्रपोज करती है। और रूढ़ियों के आगे बागी भी कहलाती है। फिल्म
में ईशान का किरदार भी समाज के लिए एक बागी प्रेमी का किरदार है।
'सोलहवां सावन' में श्रीदेवी |
लेकिन ‘धड़क’ इस बात को लेकर सबके दिल में धड़कन तेज कर देती है कि जिस तरह अमिताभ
बच्चन के विस्फोटकाल में अमोल पालेकर की सादगी के चलते ‘सोलहवां सावन’ से श्रीदेवी का
कैरियर नहीं चमका, कहीं उसी तरह आज सिल्वर स्क्रीन के रणबीरों के सुपरस्टारडम के
आगे ईशान के भोले फ्लेवर के कारण जाह्नवी का जौहर कहीं फीका न पड़ जाए! वैसे ‘धड़क’ के ट्रेलर में
जाह्नवी की अभिनय प्रतिभा की झलक बखूबी मिलती है। वैसे ‘धड़क’ देखते समय सबकी निगाह
इस बात पर टिकी होगी कि जाह्नवी की अदाओं में भी श्रीदेवी जैसे चुलबुलाबन, सेक्स
अपील और डांसिंग क्वालिटी है या नहीं।
*लेखक ‘पिक्चर प्लस’ के संपादक हैं।
संपर्क – pictureplus2016@gmail.com
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