क्या दाढ़ी रखने वाले सभी पाकिस्तान जाएं? अनुभव सिन्हा की नई फिल्म ‘मुल्क’ में ऋषि कपूर का बड़ा सवाल
'मुल्क' पर महाभारत
*रवीन्द्र त्रिपाठी
इंडिया हैबिटेट सेंटर में 23 जुलाई की दोहपर थी
जब अनुभव सिन्हा अपनी बढ़ी हुई दाढ़ी, लाल फुल स्लीव जैकेट और एक रामनामी चादर मफ़लर
की तरह लटकाए आए। मौका था उनकी आनेवाली फिल्म `मुल्क’ के
प्रमोशन का। थोड़ी देर के बाद इस फिल्म
में काम करनेवाले उनके कलाकार भी आए- तापसी पन्नू, प्रतीक बब्बर, नीना गुप्ता। ऋषि
कपूर देर आए।
अमूमन फिल्म के प्रमोशन के लिए आयोजन रोचक नहीं
होते। खासकर वैचारिक स्तर पर। खाना पीना होता है और पत्रकारों को ब्रोशर जैसा कुछ
पकड़ा दिया जाता है। पर ये आयोजन एक अपवाद की तरह था। सवालों की झड़ी लगी और अनुभव
सिन्हा शांति से जवाब देते रहे। तापसी पन्नू भी मोर्चा संभाले रहीं। ऋषि कपूर भी
दमदारी से बोले। ऋषि कपूर तो पुराने मंझे हुए अभिनेता हैं। लेकिन तापसी ने जिस
संजीदगी से अपनी बातें कहीं और अपना पक्ष रखा वह ये दिखानेवाला था कि बॉलीवुड में
अब ऐसी अभिनेत्रियां भी आ रही हैं जो बौद्धिक रूप से सोचती है। गहराई से। पैशन से।
वे अब सिर्फ नाचने–गाने से लिए नहीं आ रही हैं।
लेकिन मसला क्या था?
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आने वाली फिल्म के दो दृश्य |
मसला था फिल्म `मुल्क’ का
कथ्य । इस फिल्म का ट्रेलर आ चुका है और सिनेमा हॉलों से लेकर इंटरनेट पर चल रहा
है। ट्रेलर से लग रहा है कि ये फिल्म मौजूदा भारत में मुसलमानों की जो खास तरह से
स्टीरियोटाइपिंग की जाती है उसे लेकर कई सवाल खड़े करता है। जैसा कि अनुभव ने
बताया – ये एक परिवार की कहानी है। मुस्लिम परिवार की। ऋषि कपूर ने एक ऐसे
पारिवारिक मुखिया का किरदार निभाया है जो आमतौर पर मुसलमान धार्मिक लोगों की तरह
लंबी दाढ़ी रखता है। लेकिन क्या लंबी मुसलमानी दाढ़ी रखने की वजह से ही वह या कोई
अन्य मुसलमान आतंकवादी या पाकिस्तान समर्थक हो जाता है? तापसी
पन्नू का किरदार एक ऐसी औऱत का है जो हिंदू घर में पैदा हुई लेकिन मुसलिम परिवार
में शादी करती है और एक वकील है।
बहुत ही रोचक लहजे में अनुभव ने बताया कि इस
फिल्म का ट्रेलर आने के बाद उनको काफी ट्रोल किया गया और आरोप लगाया गया कि वे
हिंदू-विरोधी हैं। गले में रामनामी चादर डाले अनुभव ने थोड़े शरारती अंदाज में मुस्कुराते
हुए पूछा कि क्या मैं हिंदू-विरोधी लगता हूं?
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अनुभव सिन्हा |
फिर उन्होंने ये दिखाया कि कैसे उन्होंने एक सर्वे
कराया है जिसमें मुसलमानों को लेकर कई सवाल लोगों से पूछे गए-जैसे क्या मुसलमान आतंकवाद
के समर्थक होते हैं, क्या भारत पाकिस्तान मैच के दौरान मुसलमान पाकिस्तानी टीम के
पक्ष में होते हैं और उनके लिए नारे लगाते हैं? आदि
आदि। हालांकि इस सर्वे के दौरान उठे मसले चौंकानेवाले नहीं थे क्योंकि आमतौर पर
रोज ही इस तरह की स्टीरियोटाइपिंग से भारतीय जनसमुदाय का वास्ता पड़ता है फिर भी
चुभनेवाले तो जरूर था। आखिर क्या वजह है कि इस तरह की स्टीरियोटाइपिंग होती है?
फिल्म प्रमोशन की इस तैयारी से ये साफ दिख रहा है
कि अनुभव इस फिल्म को भारतीय जनमानस में कुछ ऐसे सवालों को फेंकनेवाले हैं जिससे
हम सब जूझ रहे हैं। फिल्म इसी साल तीन अगस्त को रिलीज होनेवाली है। क्या ये लोगों
के दिल को छुएगी और सोचने की तरफ ले जाएगी? ये तो वक्त बताएगा। पर इतना जरूर है अनुभव पूरी
तैयारी के साथ मैदान में हैं।
(लेखक प्रख्यात कला मर्मज्ञ व फिल्म समीक्षक हैं।
दिल्ली में निवास।
संपर्क - 9873196343)
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