फिल्म-समीक्षा
‘हनुमान वर्सेस
महिरावण’
निर्देशक - एझिल वेंडन
श्रेणी - एनिमेशन
*रवींद्र त्रिपाठी
ये एक 3-डी एनिमेशन फिल्म है और बच्चों के लिए बनाई गई है। ये रामायण
से जुड़ी कहानी है। राम-रावण युद्ध के आखिरी दिनों की कहानी। प्रचलित कहानी ये है
कि युद्ध के आखिरी दिनों में रावण ने राम को पराजित करने के लिए अहिरावण की मदद ली
थी। अहिरावण कौन था इस बारे में एक राय नहीं है। कुछ आख्यानों को मुताबिक वह
पातालपुरी का राजा था और रावण का दोस्त था। कुछ के मुताबिक रावण का सौतेला भाई।
अहिरावण अपना रूप बदल सकता था। यहां तक कि अशरीरी हो सकता था और उसकी छाया भी नहीं
दिखती थी। कहानी ये है कि युद्ध के अंत के ठीक पहले वाली रात में रावण के कहने पर
अहिरावण अपनी माया से राम और लक्ष्मण का छल से अपहरण कर पातालपुरी ले गया था और
उनकी बलि देनेवाला था। वैसे भी उसे 1000 राजकुमारों की बलि देनी थी और 998 की दे
चुका था। 1000 पूरे होने में दो राजकुमारों की कमी रह गई थी और राम और लक्ष्मण की
बलि के बाद वो गिनती पूरी हो जाती। लेकिन ऐन वक्त पर हनुमान वहां पहुंचे। द्वार पर
उनकी भेंट अपने ही पुत्र मकरध्वज से हुई और उससे युद्ध करना पड़ा। फिर मकरध्वज ने
ही उनको अहिरावण को मारने का गुर बताया।
पता नहीं क्यों इस एनिमेशन में अहिरावण का नाम महिरावण कर दिया गया है? हो सकता है कि किसी
भाषा में उसका नाम महिरावण भी हो। लेकिन इतना तो मानना पड़ेगा कि कहानी दिलचस्प है।
और इसमें भी संदेह नहीं कि 3-डी में बनकर
और भी रोचक हो गई है। आज के वक्त मे जब तक तकनीक बहुत विकसित हो गई है और बच्चे
मोबाइल पर कई तरह के वीडियो गेम देख रहे हैं तो उनको पौराणिक कहानी से जोड़ना काफी
कठिन हो गया है। लेकिन 3-डी में हर दृश्य कुछ ऐसा हो जाता है कि बच्चों को लुभाता
है।
पर ये भी सही है कि फिल्म और भी बेहतर हो सक ती थी। एक तो पता
नहीं निर्देशक ने मकरध्वज वाला प्रसंग क्यों हटा दिया है? उसकी जगह ये दिखा
दिया है एक कैद औरत हनुमान को अहिरावण या महिरावण की मृत्यु कैसे होगी, इसका राज
बताता है। दूसरे मूल कहानी मे ये है कि चूंकि महिरावण के प्राण पांच दीपकों में
बसते थे और उसे मारने के लिए ये जरूरी था कि पांचों दीपक एक ही साथ बुझा दिए जाएं।
इसीलिए हनुमान ने अपना पंचमुखी रूप दिखाया था और पांचों मुखों से फूंक मारकर पांचों
दीपक एक ही साथ बुझा दिए थे। लेकिन फिल्म में ये दिखाया गया है कि हनुमान चूंकि
वायुपुत्र हैं इसलिए अपने पिता वायु का आह्वान कर हवा के झोंकों से पांचों दीपक एक
ही साथ बुझा दिए और महिरावण खत्म हो गया। बेशक, निर्दशक इस तरह की आजादी ले सकता
है। लेकिन अगर पंचमुखी हनुमान को दिखाया जाता तो फिल्म में ज्यादा दृश्यात्मक
विविधता आ जाती जिससे बच्चे और भी अधिक पसंद करते। आखिर जब आप एनिनेमेशन और 3- डी
तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं तो पंचमुखी हनुमान को दिखाने में कोई मुश्किल नहीं
होनी थी।
*लेखक प्रख्यात कला मर्मज्ञ हैं और फिल्म
समीक्षक हैं।
दिल्ली में निवास। संपर्क-9873196343
कोई टिप्पणी नहीं:
टिप्पणी पोस्ट करें