फिल्म समीक्षा
गोल्ड
निर्देशन-रीमा कागती
कलाकार- अक्षय कुमार, मौनी राय, अमित साध, कुणाल कपूर, विनीत कुमार
सिंह
*रवींद्र त्रिपाठी
क्या किसी फिल्म का नायक एक ऐसा आदमी भी हो सकता है जो साधारण हो और
जो अपने काम के लिए धुन का पक्का और ईमानदार होने के साथ शराबी-कबाबी भी हो? इस प्रश्न का जवाब `हां’ है और मिसाल के लिए
आप `गोल्ड’ फिल्म को देख सकते हैं। इसकी पृष्ठभूमि मे 1948 के लंदन ओलंपिक में भारतीय
हॉकी टीम की जीत है। पर इसका नायक कोई खिलाड़ी या कोच नहीं बल्कि उस हॉकी टीम का
ज्वाइंट मैनेजर तपन दास नाम का बंगाली है। एक ऐतिहासिक औऱ वास्तविक पृष्ठभूमि पर आधारित होने
के बावजूद फिल्म काल्पनिक है और `पागल बंगाली’ कहा जानेवाला
ज्वाइंट मैनेजर तपन बाबू नाम का शख्स भी काल्पनिक है और दूसरे कई और चरित्र भी।
फिल्म की कहानी
अक्षय कुमार ने तपन दास नाम के जिस किरदार को निभाया है वह हॉकी और
देश के लिए समर्मित है। इसके रग रग में देशप्रेम और ह़ॉकी प्रेम है। 1936 के
ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम (हालांकि उस समय ब्रिटिश इंडिया की टीम थी) की जीत के
बाद उसे हॉकी फेडरेशन से निकाल भी दिया जाता है जिसके बाद वह सट्टेबाजी जैसे काम
में लग जाता है और अपनी बीवी मोनोबिना (मौनी रॉय) से डांट भी खाता रहता है। 1947
में देश आजाद हो जाता है और बंटवारे के कारण भारतीय टीम में खेलने वाले खिलाड़ियों
में लगभग आधे पाकिस्तान चले जाते हैं। तपन अपनी धुन के बूते ये जिम्मेदारी तो ले
लेता है कि वो लंदन ओलंपिक में भारत को गोल्ड मेडल दिलवाएगा। पर वो ऐसा कैसे कर
सकता है जब खिलाड़ियों की प्रैक्टिस के पैसे भी नहीं है? खैर, जैसे तैसे तपन
सारा इंतजाम करता है और कुछ अड़चनों के बावजूद टीम
जीत भी जाती है।
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अक्षय कुमार और मौनी रॉय |
`गोल्ड’ एक देशभक्ति की
कहानी है ये देशभक्ति किसी देश या संप्रदाय के खिलाफ वाली भावना पर
आधारित नहीं है। इसीलिए यहां ये दिखाया गया है कि
भारतीय टीम की जीत के बाद पाकिस्तानी खिलाड़ी भी ताली बजा रहे हैं। फिल्म
की एक औऱ खूबी ये है कि इसमें हिंदू-मुसलिम-सिख के साथ साथ बौद्ध भी हैं और लंदन
ओलंपिक में जाने के पहली भारतीय टीम एक बौद्ध मठ के सहयोग से उसके अहाते में
प्रेक्टिस करती है। हालांकि ये वृतांत भी काल्पनिक है पर राष्ट्रीयता और देशभक्ति
को ज्यादा व्यापक बनाने वाली है। हां, एक
बात औऱ। फिल्म का ढांचा, मध्यांतर के बाद, शाहरूख खान की `चक दे इंडिया’ से कुछ कुछ मिलता जुलता है।
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रेट्रो लुक में अक्षय |
अभिनय और निर्देशन
अक्षय कुमार अपनी भूमिका में बेहद प्राणाणिक लगे हैं और उनका `धोती डांस’ कहीं दीपिका पादुकोण
के `लुंगी डांस’ की तरह वायरल न हो जाए। मौनी राय ने मोनोबिना का जो किरदार निभाया उसमें
एक अरसे तक याद रखा जाएगा। निर्देशक रीमा
कागती की ये फिल्म कई तरह की स्टीरियोटाइप को तोड़ने वाली है।
*लेखक प्रख्यात कला मर्मज्ञ और फिल्म समीक्षक हैं।
दिल्ली में निवास। संपर्क - 9873196343
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