फिल्म समीक्षा
ऊरी - द सर्जिकल स्ट्राइक
निर्देशक - आदित्य धर
सितारे - विकी कौशल, परेश रावल, यमी गौतम, मोहित
रैना, कीर्ति कुल्हरी आदि।
-रवींद्र त्रिपाठी*
`ऊरी-द
सर्जिकल स्ट्राइक’ एक एक्शन फिल्म है जो भारत की तरफ से पाकिस्तान
के खिलाफ जवाबी कार्रवाई पर आधारित है। सन् 2016 में भारत की पश्चिमी सीमा के ऊरी
सैन्य ठिकाने पर पाकिस्तानी सेना द्वारा समर्थित आतंकवादियों ने हमला किया था।
उसका बदला कैसे लिया गया, उसी की कहानी है ये फिल्म। फिल्म का मूल विचार है- घर
में घुस में मारेंगे। फिल्म में एक जगह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार गोविंद जी नाम
का चरित्र (जिसकी भूमिका परेश रावल ने निभाई है) एक जगह कहता है- `ये नया
हिंदुस्तान है। घर में घुसेगा भी और मारेगा भी।‘
फिल्म में केंद्रीय भूमिका विकी कौशल की है
जिन्होंने विहान नाम के एक मेजर की भूमिका निभाई है। विहान की पोस्टिंग पहले भारत
के पूर्वी सीमा पर है। वहां वो पूर्वोत्तर में सक्रिय आतंकवादियों के छक्के
छुड़ाता है। और उसके बाद वो सेनी की नौकरी छोड़ना चाहता है क्योंकि उसकी मां
आलजाइमर से पीड़ित है और उसकी देखभाल के लिए उसका दिल्ली नें रहना जरूरी है। पर
विहान की वीरता से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री उसके सामने एक प्रस्ताव रखते हैं कि
उसकी पोस्टिंग दिल्ली कै सेना मुख्यालय किया जा सकती है जहां रह के वो मां की
देखभाल कर सकता है। विहान राजी हो जाता है और दिल्ली में सेना मुख्यालय के दफ्तर
में काम करने लगता है। विहान के बहनोई (मोहित रैना) भी सेना में है और ऊरी में
आतंकवादियों से लड़ते मारे जाते हैं। अब विहान का खून खौलने लगता है और अधिकारियों
से कहता है वो डेस्क का काम छोड़कर मोर्चे पर जाना चाहता है और भारत के खिलाफ हुई
आतंकवादी कार्रवाई का बदला लेना चाहता है। भारतीय सेना उसे उस अभियान का नेतृत्व
सौंपती है और विहान बहादुरी से बदला लेता है।
एक एक्शन फिल्म के रूप में `ऊरी’ एक ठीक
ठाक फिल्म है। मारधाड़ काफी है। विकी कौशल ने अपनी भूमिका भी अच्छी निभाई है। ये
देशभक्ति की भावना जगानेवाली फिल्म है। हालांकि इस फिल्म में कुछ असंगतियां भी
हैं। जैसे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के हाथों का क्या उतनी ताकत सौंपी जा
सकती है कि वह सैन्य कार्रवाई का पूरा संचालन करे? कुछ
जगहों पर ऐसा लगता है कि ये फिल्म परोक्ष तौर पर मौजूदा सुरक्षा सलाकार अजित डोभाल
की छवि बनाने के लिए बनाई गई है। पर ये एक तरह से भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व की
भूमिका को नजरअंदाज करने की तरह है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को कभी भी सैन्य
कार्रवाई के मामले सेनाध्यक्ष से ज्यादा अहमियत नहीं दी जा सकती है जैसा कि फिल्म
में दिखाया गया है। यही इस फिल्म की एक बड़ी कमजोरी है। यामी गौतम के पास करने के
लिए खास नहीं है सिवाए ये दिखाने के लिए कि इंटेरोगेशन के मामले में वे विकी कौशल
से अधिक क्रूरता से पेश आ सकती हैं।
*लेखक जाने
माने कला और फिल्म समीक्षक हैं।
दिल्ली में निवास। संपर्क – 9873196343
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