दिलीप
कुमार संग्रहालय के लिए सायरा
बानो ही क्यों ; अमिताभ,
शाहरुख,
आमिर या सलमान भी आगे क्यों नहीं आ सकते?
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सत्यमेव जयते |
*संजीव श्रीवास्तव
यह उस दिग्गज ट्रेजेडी किंग के साथ एक नीच ट्रेजेडी नहीं तो और क्या
है, जिन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर आधी सदी से भी अधिक समय तक हिन्दुस्तानी अवाम को
जिंदगी जीने और रिश्ते नातों की संवेदनाओं को जज्बात की उष्मा दी और ठेठ भारतीयता
की बहुरंगी संस्कृतियों को अपने अंदाज में शहर दर शहर और गांव दर गांव पहुंचाया,
उमंगों से लबरेज किया।
लेकिन आज जब हिन्दी सिनेमा के उसी सुप्रीम स्टार ने अपने प्रदेश (महाराष्ट्र)
के सुपर से लेकर केंद्र (दिल्ली) के सुप्रीम हुक्मरानों तक न्याय की गुहार लगाई तो
सुनवाई की सुगबुगाहट किसी को महसूस तक नहीं हो सकी।
जबकि कहने के लिए इसी बॉलीवुड में शहंशाह से लेकर बादशाह और ही मैन से
लेकर दबंग और खतरों के खिलाड़ी से लेकर मि. परफेक्शनिस्ट तक मौजूद हैं।
यह हाल उस दिग्गज ट्रेजेडी किंग के साथ एक नीच ट्रेजेडी नहीं तो और
क्या है?
जाहिर है 96 वर्षीय दिलीप कुमार की समस्या और उत्पीड़न में चुनाव में कोई
मुद्दा बन जाने लायक माद्दा नहीं है तो भला त्वरित सुनवाई हो तो कैसे! अंतत: उस फिल्मी सितारे को
अपने पराक्रम ने ही साथ दिया जैसे कि आमतौर पर मुंबईया फिल्मों में होता कि सत्य
कभी नहीं हारता, सत्य को इम्तिहान चाहे जितने भी देने पड़े।
लेकिन हैरत यहीं तक नहीं है।
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दिलीप कुमार के साथ शाहरुख खान |
जिस बॉलीवुड में दिलीप कुमार के बाद की पीढ़ियों में तमाम सितारों ने
उनसे सीखकर, उनसे मदद पाकर या कि उनके नक्शेकदम पर अभिनय करके अपना-अपना मुकाम
हासिल किया, आज तक उनकी तरफ से भी कोई ठोस पहल आकार नहीं ले सकी। इनमें कई सितारे
तो ऐसे हैं जिनका सत्ता तक काफी रसूख भी रहा है। किसी का नाम क्या लिखना, पाठक खुद
सबका नाम जानते हैं।
दरअसल दिलीप कुमार की 74 वर्षीया पत्नी और अपने ज़माने की मशहूर
अभिनेत्री सायरा बानो एक ऐसा संग्रहालय बनाना चाहती हैं जहां दिलीप कुमार से जुड़ी
तमाम फिल्मी यादों और उपलब्धियों को संजोकर रखा जा सके। जरा सोचिये, अगर ऐसा हो
सका तो क्या वह बॉलीवुड का सबसे बड़ा
झरोखा
नहीं होगा? गौरतलब है कि दिलीप कुमार का जीवन ही अपने आप में हिन्दी सिनेमा का एक
सचित्र इतिहास समेटे हुये है। अगर उनकी यादों और उपलब्धियों को एक छत के नीचे
संरक्षित किया जाये तो आने वाली पीढियों के लिए यह कितना अहम होगा! सिनेमा के
शोधार्थियों से लेकर देश-विदेश के तमाम कलाकारों के लिए भी यह अध्ययन, अनुसंधान
में कितना मददगार हो सकेगा! लेकिन पिछले दस-ग्यारह सालों से सायरा बानो जिस तरह से बंगला विवाद
की कानूनी पेंचीदगियों में उलझी रहीं तो उनके मनोबल का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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दिलीप कुमार के साथ सलमान खान |
1,600 वर्गमीटर के पाली हिल स्थित बंगला नंबर 16 के विवाद ने देश में उस
बिल्डर लॉबी की ताकत और उसकी गैर कानूनी कब्जेदारी की हरकतों को एक बार फिर उजागर
कर दिया, जिसकी चर्चा गाहे बगाहे की जाती रही है। शुक्र है 96 साल की उम्र में
दिलीप कुमार जीवित हैं और सायरा बानो उनके हक की लड़ाई में खुद भी सक्रिय हैं
क्योंकि ये लड़ाई केवल जमीन की नहीं बल्कि ज़मीर और जज्बे की है। सायरा एक संग्रहालय
बनाकर अपने पति को समर्पित करना चाहती हैं, उस जुनून की जंग है। वरना बिल्डर की
दिली तमन्ना का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं।
बंगला विवाद का इतिहास
जानकारी के मुताबिक साल 1953 में दिलीप कुमार ने पाली हिल का यह बंगला
हसन लतीफ नाम के शख्स से 1.40 लाख में खरीदा।
सायरा बानो इसी जगह पर संग्रहालय बनवाना चाहती
थीं। जिसके लिए एक डेवलपर्स से करार टूटने के बाद उन्होंने साल 2006 में पराजिता डिवेलपर्स
के साथ नया करार किया था। लेकिन अगले दो साल तक वहां कोई काम नहीं हुआ जिसके बाद दिलीप
कुमार और सायरा बानो ने उस करार को रद्द कर दिया और बंगले तथा संपत्ति को सौंपने
की मांग की। जिसके बाद डेवलपर्स मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और वहां 10
साल तक सुनवाई चली। इस सुनवाई में देश के कई नामी गिरामी वकील शामिल रहे। सुप्रीम
कोर्ट में आखिरकार फैसला सायरा बानो के पक्ष में आया।
लेकिन इसके बाद मशहूर बिल्डर समीर भोजवानी ने बंगला
विवाद को बढ़ा दिया। समीर भोजवानी के मुताबिक दिलीप कुमार 1953 से यहां किराये पर
रह रह थे। और उसके पिताजी ने यह बंगला 1986 में मूलराज खाटू ट्रस्ट से खरीदा था,
इसलिये इस बंगले पर उनका हक है। भोजवानी का दावा था कि 1986 में नये कागजात बने और
उसके मुताबिक दिलीप कुमार यहां उसके बाद भी किरायेदार की हैसियत से ही रह रहे थे।
लिहाजा इस बीच उस जगह पर किसी और डेवलपर्स के कराये गये निर्माण कार्य गैरकानूनी
थे। समीर भोजवानी इसी आधार पर कोर्ट चले गये और दिलीप कुमार, सायरा बानो को कानूनी
नोटिस भेजा।
जिसके बाद सायरा बानो ने पुलिस और राज्य सरकार
को भोजवानी के खिलाफ उत्पीड़न करने का शिकायती पत्र भेजा और नाजायज़ तरीके से उनकी
संपत्ति हड़पने का आरोप लगाया। मामला लंबा चला।
सायरा बानो ने इसकी शिकायत रजिस्ट्रार के
महानिरीक्षक के पास भी की। लेकिन भोजवानी ने आरोपों का जवाब देते हुए 14 जून 2016 को
अदालत का फैसला सामने रख दिया जिसमें कागजातों के मुताबिक भोजवानी को संपत्ति का मालिक
बताया गया। दिलीप कुमार ने इसी आदेश को चुनौती दी थी। दिलीप कुमार और सायरा बानो
का कहना था कि कागजों में हेर फेर करके उनके साथ धोखाधड़ी की गई है।
जिसके बाद रविवार को खुद मूलराज खाटू ट्रस्ट की
तरफ से सार्वजनिक की गई सूचना के मुताबिक दिलीप कुमार 999 साल तक इस संपत्ति के स्वामी
हैं। 1953 में ही यह करार हुआ था। जिसके आधार पर साल 2952 तक दिलीप कुमार के
स्वामित्व में यह संपत्ति रहेगी।
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क्या ये सितारे मिलकर दिलीप कुमार संग्रहालय बनाने में मदद नहीं कर सकते ? |
तो क्या अब हो गया संग्रहालय का रास्ता साफ?
यह एक बड़ा सवाल है।
सायरा बानो पिछले 11 साल से जिस तरह दिलीप
कुमार की सेहत का ख्याल रखते हुए और खुद में आत्मविश्वास को कायम रख कर इस कानूनी
लड़ाई में सक्रिय रखा, यह साहस और जज्बा मामूली नहीं।
वैसे बॉलीवुड में सामाजिक और सांस्कृतिक कार्य
करने वाले उदार कलाकारों की कमी नहीं। जहां करोड़ों की प्रायोजित अवॉर्ड्स नाइट
आयोजित होती हो वहां क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि ये नामचीन हस्तियां आगे बढ़कर
सायरा की ख्वाहिश को साकार करने में मदद करेंगी?
*लेखक
‘पिक्चर प्लस’ के
संपादक हैं। दिल्ली में निवास।
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