फिल्म समीक्षा
द ताशकंद फाइल्स (2*)
निर्देशक - विवेक अग्निहोत्री
कलाकार - श्वेता बसु प्रसाद, नसीरुद्दीन शाह, मिथुन चक्रवर्ती, पंकज
त्रिपाठी, विनय पाठक, पल्लवी जोशी, विनय पाठक, मंदिरा बेदी आदि।
*रवींद्र त्रिपाठी
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु (1966) को
लेकर कुछ षडयंत्र - सिद्धांत प्रचलित रहे हैं और कुछ लोगों की निगाह मे यह
स्वाभाविक मुत्यु नहीं बल्कि हत्या थी। जैसा कि अमेरिका या हॉलीवुड में भी होता
रहा है। वहां इस तरह के षड्यंत्र-सिद्धांत कुछ फिल्मकारों को आकृष्ट करते रहे हैं।
इसलिए अब बॉलीवुड में भी यह चलन बढ़ा तो इसे अस्वाभाविक नहीं कहा सकता। निर्देशक
विवेक अग्निहोत्री ने शास्त्रीजी की मृत्यु को अस्वाभाविक मानते हुए यह फिल्म बनाई
है। यह दीगर बात है कि फिल्म के डिस्क्लेमर में यह बता दिया गया है कि इसमें कुछ जगहों पर सिनेमाई आजादी ली गई
है। इतना कह देने के बाद फिल्म की विश्वसनीयता वाला पहलू खत्म हो गया और यह भी एक
षड्यंत्र- सिद्धांत ही बन गई है। फिल्म थोड़ा दिखाइए ज्यादा समझिए वाली शैली में
बनी है। अगर यह फिल्म डॉक्यूमेंटरी की तरह बनती तो शायद ज्यादा विश्वसनीय होती।
फिलहाल तो कपोलकल्पना है।
बहरहाल फिल्म का किस्सा यह है कि श्वेता बसु प्रसाद इसमे रागिनी नाम
की पत्रकार बनी हैं। रागिनी पर दबाव है कि जल्द ही वह एक खास खबर लेकर लाये। ऐसी
खबर कि धमाका मचा दे। वो इसी उधेड़बुन में है कि क्या करे कि उसे एक सूत्र मिलता
है-लाल बहादुर शास्त्री की मत्यु से संबंधित। रागिनी खोजबीन जारी रखती है और उसके
सामने इस मामले को लेकर नए नए पहलू उभरने लगते हैं। वो सक्रिय होती है और उसकी
सक्रियता की वजह से एक समिति गठित होती है जिसमें पीकेआर नटराजन (नसीरुद्दीन शाह)
और (श्यामसुंदर त्रिपाठी) मिथुन चक्रवर्ती जैसे नेता और इतिहासकार आयशा अली शाह (पल्लवी
जोशी) सहित और भी कुछ किरदार हैं। बहुत तरह की जांच पड़ताल, बहसबाजी और फिर
निर्देशकीय कल्पना के बाद फिल्म इसी निष्कर्ष पर पहुंचती है कि शास्त्रीजी की
हत्या की गई और जिन्होंने हत्या का यह सारा खेल रचा था वो राजनीति और सत्ता में
जमे हुए लोग थे। विनय पाठक ने इसमें पूर्व जासूस मुख्तार की भूमिका निभाई है जो कई
मुद्दों के बारे मे रागिनी की मदद करता है।
`द ताशकंद फाइल्स’ बतौर एक फिल्म शास्त्री जी मृत्यु संबंधित गुत्थियां तो नहीं सुलझातीं
लेकिन इसमें कुछ कलाकारों द्वारा बेहतरीन अभिनय है। एक तो खुद श्वेता बसु प्रसाद
का और दूसरे मिथुन चक्रवर्ती का। फिल्म कुछ जगहों पर उबाऊ भी हो गई है। अगर यह
थोड़ी कसी हुई होती है और बेहतर होती है। एक जमाने की थोड़ी चर्चित अभिनेत्री
पल्लवी जोशी भी इसमें एक अहम किरदार में है। आखिर क्यों न हो, फिल्म के निर्माता
और निर्देशक विवेक अग्निहोत्री उनके पति जो हैं।
*लेखक जाने माने कला और फिल्म समीक्षक हैं।
दिल्ली में निवास। संपर्क – 9873196343
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